31 अक्तूबर 2010

विकास का बायोस्कोप दिखा रहे नीतीश-रामविलास --------------------------------------जात नहीं जमान की राजनीति करती है कांग्रेस-राजबब्बर

जिले के बरबीघा विधानसभा सीट से लोजपा प्रत्याशी सुदशZन के पक्ष में बोट मांगने आए रामविलास पासवान ने आज नीतीश कुमार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार स्वयं एक अपराधी है और उनके उपर हत्या का मुकदमा है। रामविलास पासवान भी आज कवि के अन्दाज में दिखे और कहा कि हम लोग जब बच्चा थे तो गांव में बायसकोप बाला आता था दिखाता था दिल्ली का कुतुमीनार देखा, मोकामा धाट देखो। रामविलास पासवान की सभा में लोगों की काफी भीड़ जुटी जिससे रामविलास पासवान खुश नज़र आए और जमकर अपने मन की भड़ास निकाली। रामविलास पासवान भी नीतीश कुमार पर प्रहार करते हुए कहा कि गांव गांव दारू की दुकान खोल कर नीतीश कुमार विकास की बात कर रहें है। एपीएल को बिपीएल में और बीपीएल को एपीएएल में कर के नितीश कुमार विकास की बात करते है। रामविलास पासवान ने कहा कि महादलित की राजनीति कर नीतीश कुमार दलितों को गाली दी है। महादलित का मतलब चण्डाल होता है, महादलित का राक्षस होता है और नीतीश कुमार ने यही नाम दिया दूसरा भी दे सकता है। रामविलास पासवान ने शिक्षको की बहाली में भी नीतीश कुमार की खिंचाई करते हुए कहा कि एक तरफ जहां शिक्षकों को बीस हजार महीना मिल रहा तो दूसरी तरफ चार हजार मिलने वाले शिक्षक कितना पढ़ाएगें। रामविलास ने गरीबों को 12 डिसमिल जमीन देने की बात कहते हुए कहा कि नीतीश कुमार 3 डिसमिल जमीन देने की बात कह रहे है पर किसी को भी जमीन नहीं मिला है। महती सभा को संबोधित करते हुए रामविलास पासवान ने साफ कहा कि उनकी सरकार आने के बाद सवर्ण समुदास को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। उन्होने कहा कि जब बिहार में आठ करोड आबादी में से छ: करोड़ बीपीएल है तब बिहार का विकास कैसे हुए। सभा को संबोधित करते हुए लोजपा प्रत्याशी सुदशZन ने कहा कि वे यहां का बेटा है और मान सम्मान के लिए बरबीघा से चुनाव लड़ रहें है। समारोह में जिलाध्यक्ष चन्दन यादव, शिवशंकर पासवान सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।


                               जात नहीं जमान की राजनीति करती है कांग्रेस-राजबब्बर

कांग्रेस के प्रत्याशी अशोक चैधरी के लिए वोट मांगने कांग्रेस नेता एवं सीने अभिनेता राजब्बर बरबीघा पहूंच। बरबीघा के हटीया मैदान में उपस्थित भीड़ को संबोधित करते हुए राजबब्बर ने कहा कि कांग्रेस जात नहीं जमात की राजनीति करती है और इसके लिए कोई न हिन्दू होता है न मुस्लमान, कोई सिख होता है और न कोई ईसाई न यह भुमिहार मानती है न ब्रहम्ण न दलित सभी को एक साथ लेकर चलने वाली पार्टी का नाम कांग्रेस है और कांग्रेस के युवराज बिहार को नया बिहार बनाने के लिए लोगों से वोट की अपील कर रहें है। राजब्बर ने कहा कि बिहार में न तो कल करखाना लगा और नहीं किसी चिमनी से धुंआ निकला फिर कैसा विकास हुआ। बिहार के बच्चे इंजिनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के लिए अंध्राप्रदेश माहारास्ट और अन्य प्रदेश में जाते है कोई खेत बेचकर तो कोई अपना दुकान गिरवी रख बेटे को पढ़ने भेजता है यदि बिहार में यह सुविधा होती तो लोगों के खेत नहीं बिकते और बच्चे बाहर नहीं जाते। नीतीश कुमार पर बार करते हुए राजब्बर ने कहा कि नीतीश कुमार अखबारों और चैनलों को इस्तेहार देेकर हीरों बन गए है और अवार्ड भी ले रहें है मुझे पहले यह फण्डा मालूल होता तो मैने भी कई आवार्ड ले लेता। सभा में पूर्व केंिन्द्रय मन्त्री अखिलेश सिंह ने कहा कि काग्रेस पार्टी ही बिहार का विकास कर सकती है इस वजह से सभी नेता कांग्रेस की ओर मुखातिब है। श्री सिंह ने कहा कि बंटने की राजनीति नीतीश कुमार की है इससे पहले लोगों को लगा की नीतीश कुमार बांटने की राजनीति नहीं करते पर आज नीतीश कुमार अगड़े पिछड़े से आगे बढ़ कर अति पिछड़ा और महादलित का बंटबारा कर बिहार का विनाश कर दिया। इस मैके पर अजय सिंह, दिपक मुखीया, गोवर्धन सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। समारोह में प्रत्याशी अशोक चौधरी ने कांग्रेस पार्टी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि पार्टी के सहयोग से 3 नवंबर को राहुल गांधी का कार्यकम्र सम्भव हो सका है।

























28 अक्तूबर 2010

बिहार में सबकुछ ठीक नहीं है......... बिहार चुनाव विकास बनाम जातिवाद और अपराधीकरण में नीतीश कुमार



बिहार चुनाव में विकास की बात बढ़-चढ़ कर की जा रही है। खास कर मीडिया में इसे ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे यह कोई तिलिस्म हो और इसके जादूगर नीतीश कुमार। लोकतन्त्र में जनता ही मालिक होती है यह बात भले ही सही हो पर इस मालिक को दिग्भ्रमित करने की राजनीति में मिडिया का सहयोग कुछ इस तरह का है जैसे वह सड़ाध को रोकने का यन्त्र हो और  इस यन्त्र के प्रयोग के लिए धन बल प्रभावी है और इत्र की सुगंध में सब गुम हो रहा है। 

 बिहार के चुनाव में सबकुछ वैसा नहीं है जैसा दिखाया जा रहा है। दिल्ली से लेकर प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषक नीतीश कुमार को जिस विकास पुरूष का िढंढोरा पीट कर महान नेता बता रहें हैं दरअसल जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। सबसे पहले नीतीश कुमार जिस बिहार के विकास की बात कह रहें है उसके रगों में नशे के जहर का इंजेक्शन देकर उसके भविष्य को हमेशा हमेशा के लिए मारने का काम किया है। आज आलम यह है कि बिहार के गांव में गली गली खुले सरकारी शराब की दुकानों में 10 से 15 साल के स्कूली बच्चे शराब खरीद कर आने वाले बिहार की नई पीढ़ी की दिशा को तय कर रहें हैं। 

बिहार के विकास के यह कैसी बानगी है कि जाली प्रमाण पत्र पर 80 प्रतिशत अंक बाले शिक्षक बने लोग इंजिनीयर और आइएएस पैदा करने वाली बिहार की उर्वरा भूमि को दीमक की तरह चाटने लगे है। आलम यह कि बड़ी संख्या में माध्यमिक और उच्च विधालय के शिक्षक अंग्रेजी में अपना नाम नहीं लिख सकते। चारित्रिक रूप से पतित लोग, शराबी और व्याभिचारी शिक्षक बन बैठे है और लिखने में भी शर्म आ रही है पर सच यह है बिहार के विद्यालयों में वैसे लोगों की वजह महिला और पुरूष शिक्षकों के प्रेमप्रसंग और अनैतिक सम्बंध की चर्चा बच्चे करते हैं और विद्यालयों में शिक्षक कार्यालय में बैठ कर नीली सिनेमा की चर्चा करते है। और तो और मध्य वर्ग की छात्राओं से अवैध सम्बंध को लेकर शिक्षकों की पिटाई हो रही है और इस सब के दोषी नीतीश कुमार है जिन्होने प्रमाण पत्र लाओ नौकरी पाओ की तर्ज पर जाली प्रमाणपत्र घारकों को नौकरी दी वह भी महज वोट बैंक के लिए और शिक्षकों की बहाली अनपढ़ मुखीया तथा पंचायत सेवक ने मोटी रकम लेकर कर दी और रातो रात करोड़पति  बन गए। शिक्षक के नियोजन का खेला है कि आज मुखीया और पंचायत सेवक की संपति की जांच हो तो एक बड़ा धोटाला सामने आएगा।
बात अगर अपराध की हो, तब भी अपराध का ग्राफ बेशक नीचे आया है पर अकेले शेखपुरा जिले में तीन माह के अन्दर दिन दहाड़े एक दर्जन लोगों की हत्या कर दी गई और इस मामले में पुलिस मोटी रकम लेकर अपराधियों को संरक्षण दे रही है। नेताओं का कद भले ही नीतीश जी ने कम किया पर आज थाने में मोबाइल गुम होने की प्राथमिकी दर्ज कराने में 200 रू. लगते है और थानेदार किसी की नहीं सुनता। और एक टिक्स जो थाने में अपनाई जाती है वह है प्राथमिकी दर्ज नहीं करने की और अपराध का ग्राफ अमुमन नीचे रहेगा।

बढ़ते नक्सली प्रभाव को कैसे बिहार पर विश्लेषण करने वाले शातिराना ढ़ग से छोड़ देते है पर सच्चाई यह है कि बिहार के छ: जिलों में अपना प्रभाव रखने वाले नक्सली आज 26 जिलों में अपनी समानन्तर सरकार चलातें हैं।

बिहार में यदि सबकुछ ठीक है तो फिर इन्दिरा आवास में पहले जहां 500 नज़राना लगाता था वह आज 10000 क्यों हो गया

बिहार में यदि सबकुछ ठीक है तो मनरेगा में 75 प्रतिशत राशि फर्जी रूप से बिना काम कराये क्यों निकाल ली जा रही है।

बिहार में आज विकास की बात होती है पर जातीबाद और अपराध का राजनीतिकरण नीतीश कुमार क्यों कर रहें है। नवादा जिले से जेलब्रेक का अपराधी प्रदीप महतो एक बानगी है जिसने दिनदहाड़े दो पुलिसबालों की हत्या कर कुख्यात अशोक महतों को जेल से छुड़ाकर भाग गया, आज बारसलीगंज से जदयू का प्रत्याशी क्यों है। नीतीश कुमार के स्वाजातिय लोगों को बहुलता से प्रत्याशी बनाया गया भले ही वे कम क्षमता रखतें हो। अवैध हथियारों का तस्कार सोनी मुखीया शेखपुरा से स्वजातिये होने की वजह से उम्मीदवार है।


नीतीश कुमार की ही देन है कि विकास राशि को अपराधी और अफसर मिल कर लूट लिये। पांच साल में कोई ऐसा जिला नहीं जिसमें अपराधी ठेकेदार बना और आज करोड़पति है। 

एक बात तो साफ है कि बिहार में सबकुछ ठीक नहीं है जैसे मिडिया में दिखाया जा रहा है पर यदि कुछ ठीक है तो वह है नीतीश कुमार का मिडिया मैनेजमेंट । अब देखना यह है कि शिकारी आएगा, दाना डालेगा, जाल बिछाऐगा हम नहीं फंसेगे कहानी के तर्ज पर जनता जाल में फंसती है या नहीं...............





















27 अक्तूबर 2010

स्वच्छ राजनीति और जेपी की विरासत की बात बरबीघा में. ................नीतीश कुमार जब जार्ज फर्नाडीस के नहीं हुए तो शिवकुमार की क्या होते

स्वच्छ राजनीति और जेपी की विरासत की बात बरबीघा में दिखने लगी है। एक तरफ जहां बाहुबल और धनबल के सहारे राजनीति दिशा तय करने की बात हो रही है तों वहीं दूसरी तरफ दिनकर जी के पुत्र और प्रख्यात साहित्कार डा. केदार सिंह, प्रख्यात साहित्यकार रविन्द्र भारती, और प्रख्यात समाजवादी एवं मध्य प्रदेश विधायक दल के नेता सह सपा के राष्ट्रवादी महामन्त्री, किसान नेता डा. सुनीलम बरबीघा की घरती पर वोट मांग रहें है। उक्त लोगों कें द्वारा समाजवादी नेता शिवकुमार के पक्ष में लोगों से वोट की अपील की जा रही है। इस अवसर पर डा. सुनीलम ने कहा कि सरकार एक मदमस्त हाथी की तरह होती है और उसपर अंकुश लगाने का काम विपक्ष रूपी महावत ही करता है और शिवकुमार एक सशक्त महावत है जो बिहार की किसी भी सरकार पर अंकुश रखेगा। 
सुनीलम ने कहा कि नीतीश कुमार जब जार्ज फर्नाडीस के नहीं हुए तो शिवकुमार की क्या होते।
लोगों से शिवकुमार को जिताने की अपील करते हुए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पुत्र डा. केदार सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने समाज को बंाटने की राजनीति कर रहें है और शिवकुमार समाज को साथ करने की राजनीति कर रहें है। सभा को संबोधित करते हुए रविन्द्र भारती ने कहा कि नीतीश कुमार से मिलने के लिए मन्त्री को पन्द्रह दिन इन्तजार करना पड़ता है और कुसहा बांध के टुटने के पहले मन्त्री ने नीतीश कुमार से मुलाकत करनी चाही पर समय नहीं मिला और कोशी के जलप्रलय में लाखों लोग मरे। शिवकुमार ने कहा कि कमाने वाले मजदूर को मजदूरी मिलती है या नहीं। मैंने 35 साल तक जनता की सेवा की है और आज कहीं खुनी पंजा हाथ वढ़ा रहा है और जिले को एक बार फिर अपराध की आगोश में ले जाना चाहता है तो कहीं झुमने बाला बरबीघा को कलंकित करने लाया गया है। कोई मुखीया बन कब्रीस्तान की जमीन कब्जा कर तीन मंजीला मकान बनाया तो कोई फिर बरबीघा की हकमारी करने आया। बताते चले की नीतीश कुमार के साथ राजनीति करने वाले शिवकुमार की टिकट नीतीश कुमार के द्वारा काट लिया गया और आज वे निर्दलीय चुनाव प्रचार में है और उनके चुनाव प्रचार का तरीका समाजबादी है जिससे जनता प्रभावित हो रही है।

21 अक्तूबर 2010

मीडिया बिकाउ माल

सच बात तो यह है की मीडिया यहां बिकाउ माल हो गया है और नितिश कुमार सबसे बडे खरीददार. अब मीडिया से जनता का भरोसा उठ गया. सभी मे ज्यादा से ज्यादा धन कमाने की होड मची है और सभी पतन के और रेस में है.................राम बचाए मीडिया से. अब आदमी किस पर भरोसा करेगा. कैसे यह देश बचेगा. अब गांधी जी और भगत सिंह कहां मिलेंगे...

20 अक्तूबर 2010

मां की आंख के आंसू कोई नहीं देखता.

यह भले ही अतिस्योक्ती लग रही हो पर सच यही है. आज नारी शक्ति के उपासना के ईस महापर्व दुर्गापूजा पर यह सब एक बार फ़िर से देखने को मिला वह भी व्यापक समाजिक स्वीकारिता के साथ. एक तरफ़ हम नारी की पूजा करते हैं तो दूसरी तरफ़ वहीं नारी का अर्धनग्न  नांच भी आयोजित करते है और इसकी समाजिक मान्यता भी है. यह बुराई गांव से लेकर नगर तक सब जगह देखने को मिलता है. धर्म के आड मे यह सबसे बडा अधर्म है मां की पूजा तो हम करते है पर रोती हुई मां की आंख के आंसू कोई नहीं देखता.