28 नवंबर 2013

देवता के होने पर सवाल उठाता राहू-केतू

तेजपाल, आशाराम और जो सामने नहीं आये उनको मेरी यह कविता समर्पित है ..........

कई बार जिंदगी को जीते हुए खामोशी से बिष पीना पड़ता है, कहीं कोई धन का तो कहीं कोई विद्वता का विष वमन कर देता है। मन में एक टीस सी उठती है और फिर कलम से कविता निकल पड़ती है। कहीं कहीं देवता साबित करने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते, अपनी बुराईओं को भूल आप पर सवाल खड़े करते है, मैं आज देवता के होने पर ही सवाल खड़ा कर रहा हूं. आप प्रतिक्रिया दे, थोड़ी देर रूक कर पढ़े.... फिर कुछ कहते जाए...
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देवता के होने पर सवाल उठाता राहू-केतू
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अमृत बंटते समय
मैं भी खड़ा हो जाता
देवाताओं की पांत में
पर मैं राहू की तरह साहसी नहीं था...

पर आज भी राहू-केतू
साहस से
शापित होकर भी
सवाल खड़े किए हुए हैं
देवताओं के देवता होने पर...

सवाल
जो उठता है
देवताओं के अमरत्व पर
उनके छल पर...

भले ही नहीं सुनो
पर पूछोगे तो कभी...

"कि" इस नक्कारखाने में
तूती की यह आवाज कहां से आ रही है...

17 नवंबर 2013

रोटी का भूगोल-इतिहास

भूखे बच्चों के लिए
रोटी का भूगोल
कभी पूनम
तो कभी दूज के चाँद
की तरह होता है...
और कभी कभी
अमावस्या का चाँद....


और रोटी का इतिहास..
भी जानता है भूखा बच्चा
कि कैसे रोटी की खातिर
हवेली में फटा था
माँ का आंचल.....

जानता है वह
कि उसकी माँ
बदल देती है रोटी का भूगोल
गोल गोल रोटी को
तिकोना बना
बांट कर बच्चों में
खुद लेट जाती है
भूखे, रात भर करवट बदलते हुए...

और यह भी जानता है वह
कि रोटी और नींद की
रिश्तेदारी है
तभी तो बगैर रोटी
नींद भी नहीं आती....

..हे प्रजातंत्र के राजा
बदल सको तो रोटी का
इतिहास-भूगोल बदल दो
मुझे और कुछ नहीं चाहिए....

10 नवंबर 2013

ख्वाब की तामीर

रोज तुम आती हो आंखों में तसव्वुर बनकर।
ख्वाबों में सही, ख्वाब की तामीर तो होती है।।

लैला- मजनूँ  की तरह न हो मशहूर अपने किस्से।
आंखों में पाक मोहब्बत की तस्वीर तो होती है।।

संगमरमर से तराशा ताजमहल तुमको कैसे कह दूं।
ताज की दीवारों पर भी दर्द की तहरीर होती है।।

मोहब्बत है तो फिर खुदा की आरजू क्यूं हो।
पाक-मोहब्बत में खुदा की तस्वीर होती है।।

जुनून में कभी मोहब्बत को उदास मत करना।
खुश्बू के पांवों में भी कहीं जंजीर होती है।।