03 मई 2014

‘‘एक हाथ में गीता और एक हाथ में कुरान हो’’


‘‘एक हाथ में गीता और एक हाथ में कुरान हो’’
मौका जब मिलो तब हंसके हंसोत ला
दुनिया जब हंसे लगो तब मुड़िया अपन गोत ला।’’
मगही कवि सम्मेलन में कवियों ने बिखेरे जलबे।
बरबीघा, शेखपुरा (बिहार)
‘‘एक हाथ में गीता और एक हाथ में कुरान हो/ऐसा मेरा हिन्दुस्तान हो’’ कवि शफी जानी ‘‘नादाँ’’ की कौमी एकता के इस गीत पर महफिल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंज उठी। मौका था मगही कवि सम्मेलन का।
कवि सम्मेलन का मंच संचालन मगही कवि उमेश प्रसाद उमेश ने किया। वहीं कवि उमेश बहादुरपुरी ने अपनी कविता ‘‘कोढ़फुट्टा’’ एवं रणजीत दुधू ने ‘‘मोबाइलबा जी के जंजाल हो’’ से सबको खूब हंसाया। वहीं कवि दयाशंकर बेधड़क ने अपनी कविता ‘‘ मौका जब मिलो तब हंसके हंसोत ला/दुनिया जब हंसे लगो तब मुड़िया अपन गोत ला।’’ के माध्यम से व्यंग वाण छोड़े।
समारोह में मिथलेश, दीनबंधू, उदय भारती, जयराम देवसपुरी, दयाशंकर बेधड़क, मुकेश कुमार ने अपनी अपनी कविता का पाठ किया।
इस मौके पर कवि उमेश बहादुरपुरी की काव्य संग्रह ‘‘माफ कर देना’’ का लोकापर्ण भी किया गया।



4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-05-2014) को "संसार अनोखा लेखन का" (चर्चा मंच-1602) पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. मागही कवि सम्मेलन की रिपोर्ट का शुक्रिया।

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  3. सिर्फ रिपोर्ट है...आलेख होते तो मज़ा आता।

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