tag:blogger.com,1999:blog-6746500524838980169.post3483360657295283441..comments2024-03-19T21:21:13.952+05:30Comments on चौथाखंभा: बिहार में अघोषित आपातकाल है? मैं कहता हूं आंखन देखी......Arun sathihttp://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6746500524838980169.post-90943847372484258872011-06-18T08:09:44.070+05:302011-06-18T08:09:44.070+05:30ये हैवानियत कमोबेश भारत के हरेक राज्य में नियम है ...ये हैवानियत कमोबेश भारत के हरेक राज्य में नियम है अपवाद नहीं .दुर्भाग्य पूर्ण है .शर्म नाक है .लेकिन फिर भी इसके लिए आपातकाल का स्तेमाल भारी भरकम शब्द है .आपात काल होता ,आपका भी दुष्यंत कुमार बना दिया जाता .आप भी कहते -<br />यहाँ दरख्तों के साए में धूप लगती है ,चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिए .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6746500524838980169.post-74015126321118113382011-06-17T15:18:33.023+05:302011-06-17T15:18:33.023+05:30सच है ... भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है........सच है ... भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है........संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6746500524838980169.post-74450967922218921962011-06-16T20:55:23.395+05:302011-06-16T20:55:23.395+05:30न जाने कब बदलाव आएगा......न जाने कब बदलाव आएगा...... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6746500524838980169.post-49312949543379639862011-06-16T18:56:28.589+05:302011-06-16T18:56:28.589+05:30इसमें कोई दो राय नहीं कि बदलाव और तरक्की की झूठी ब...इसमें कोई दो राय नहीं कि बदलाव और तरक्की की झूठी बयार में बिहार में सच को दबा दिया गया है| इसके लिए एक हद तक मीडिया भी जिम्मेदार है क्योंकि बादलों का ढिंढोरा पीटने में वह सबसे आगे रहा कारण चाहे जो भी रहे| ऐसी घटनाएँ लोकतान्त्रिक समाज पर कुठाराघात हैंNews And Insightshttps://www.blogger.com/profile/02530480097979739898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6746500524838980169.post-7134591001999038902011-06-15T22:23:01.386+05:302011-06-15T22:23:01.386+05:30वही ढाक के तीन पात। नीतीश कुमार भी उसी बीज की फसल ...वही ढाक के तीन पात। नीतीश कुमार भी उसी बीज की फसल हैं जिस के सारे दूसरे राजनेता हैं। गरीबों के मजबूत जनसंगठन ही जनतंत्र को मजबूत बना सकते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com