13 फ़रवरी 2017

आज अंतर्राष्ट्रीय रेडियो दिवस है, रेडियो की बहुत याद आ रही है..

(अरुण साथी)

आज फिर रेडियो को बहुत मिस कर रहा हूं । शारदा सिन्हा के गीत "पनिया के जहाज से पल्टनिया बन अईहा पीया" हो या कजरी, झूमर सरीखे लोकगीत। यह सब रेडियो की ही थाती है।

तकनीकी विकास के बावजूद आज आप सहजता से रेडियो को नहीं सुन सकते हैं।खासकर ग्रामीण इलाकों में मुझ जैसों को इसकी भारी कमी खलती है। महानगरों में एफएम सुनने की सुविधा है। हालाँकि उसमें भी ईयरफोन लगाने का पेंच लगा दिया गया है।

मोबाइल में एक भी एप्प्स नहीं है जिसके सहारे आप संगीत का आनंद रेडियो की तरह ले सकते हैं । खासकर विविध भारती को सुनना अच्छा लगता है पर यह संभव नहीं है। वहीं ग्रामीण इलाके में किसी भी एफएम रेडियो चैनल का एप्स लाइव प्रसारण नहीं देता है। ले दे की थोड़ा बहुत एफएम रेम्बो है। यह एक बड़ी कमी है तकनीकी विकास का, जबकि आप पुराने रेडियो के सहारे कई स्टेशनों से संगीत और समाचार सुन सकते थे। एक दूसरी कमी यह है कि रेडियो पर सरकारी समाचार माध्यम को छोड़कर कोई प्राइवेट समाचार माध्यम बहुत सक्रिय नहीं है।

समय को जब आज से बीस साल पूर्व लेकर जाता हूं तो आज जैसे स्मार्ट मोबाइल जीवन का एक हिस्सा बन गया है उसी तरह से रेडियो जीवन का एक हिस्सा हुआ करता था । हालाँकि स्मार्ट मोबाइल से जीवन में अवसाद, कड़वाहट और तनाव भी घुल रहा है पर रेडियो सुखद और आनंददायक था । आज भी याद है, विविध भारती का वह भूले बिसरे गीत या पटना के चौपाल कार्यक्रम पर मुखिया जी और मटुक भाई का विनोदपूर्ण संवाद, 7:30 के क्षेत्रीय रेडियो समाचार को सुनने के लिए कई लोगों को एक साथ इकट्ठा होना या विविध भारती के नए गानों को भी सुन कर आनंदित होना या बीबीसी के समाचार को लिए पहले से ही तैयार होकर के रहना या बिनाका गीतमाला और अमिन सयानी की वह दिलकश आवाज, बहुत सी यादें हैं । उस दौर में जब रेडियो पर संगीत सुना था वह आज भी मानस पटल पर छेनी और हथोड़ी से लिख दी गई इबारत की तरह है, एक एक शब्द स्वतः होंठों से निकल पड़ते हैं। जाने वे सुनहले पल लौटकर आएंगे भी या नहीं...

12 फ़रवरी 2017

डिजिटल इन्डिया की मार से बेहाल है बुजुर्ग

डिजिटल इंडिया की मार बुजुर्गों पे 

वृद्धा पेंशन बना जी का जंजाल,
बुजुर्गों को लगाना पड़ रहा है बलॉक और कर्मचारी का चक्कर ।
पेंशन की वजह से दिन भर भूखे रहते हैं बुजुर्ग


(बरबीघा। शेखपुरा/बिहार)

डिजिटल इंडिया की वजह से बुजुर्गोंकी स्थिति क्या है वह इस तस्वीर को देखकर समझा जा सकता है। वृद्धा पेंशन के लिए पिछले 6 माह से कागजी कार्रवाई हो रही है पर हर बार कुछ न कुछ गलती कर दी जाती है जिससे वृद्ध लोगों को काफी परेशान होना पड़ता है। इसी भूल को एक बार फिर सुधारने के लिए प्रखंड कार्यालय में कैंप लगाया गया है। शुक्रवार और शनिवार को लगे इस कैंप में 5 किलोमीटर और 7 किलोमीटर से पैदल चलकर बृद्धा ब्लॉक पहुंचे और अपने कागजात जमा किए । बड़ी संख्या में उपस्थित हुए वृद्धों को दिन भर भूखे रहकर अपनी पेंशन के लिए कागजात जमा देने पड़े।


क्या कहते हैं बुजुर्ग

सुरेश पंडित, सामस
"पिछले 6 माह से कई बार पासबुक और आधार कार्ड का फोटो स्टेट विकास मित्र को जमा किया है। पेंशन खाते में नहीं आई । हर बार कुछ न कुछ गलती कर दी जाती है।"
मोहन यादव,पिंजरी
"बहुत पैसा भी खर्च किया और कई बार कागज के लिए ब्लाक का चक्कर लगाया पर पेंशन आज तक नहीं मिला । आज भी सुबह से शाम हो गई है और भूखे प्यासे हम लोग बैठे हुए हैं । बुजुर्ग लोगों को इस तरह से काफी परेशानी हो रही है।"


मंजू देवी, भदरथी
"बूढ़ा-बूढ़ी को प्रशासन बहुत परेशान कर रहा है। हम लोग पेंशन लेने के लिए कितना दौड़े? 10 किलोमीटर तक पैदल चल कर कई बार ब्लॉक आई हूं । विकास मित्र भी कई बार कागज लिया पर कहीं सुधार नहीं हुआ , पेंशन नहीं आया।


रामदेव मांझी, काशीबीघा
"पेंशन क्या मिलेगा, उससे ज्यादा तो टेंशन मिल गया है। लाठी के सहारे रेंगते हुए कई बार ब्लॉक पहुंचा । कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक को कागज दिया पर पेंशन खाता पर नहीं आया बहुत परेशान हो रहे हैं हम लोग।


पप्पू कुमार, समाजसेवी, पिंजड़ी
"पेंशन के लिए कोई सहुलियत वाला रास्ता खोजना चाहिए था। कई किलोमीटर चलकर बुजुर्ग ब्लॉक पहुंचते हैं। उनको बहुत परेशानी होती है। बैंक के लोग गांव में कैंप लगाते तो बहुत सहूलियत होती । अब तो डिजिटल इंडिया हो गया है फिर भी वृद्ध लोगों को परेशान किया जा रहा है।


मिंटू सिंह, समाज सेवी, काशिबिघा
"वृद्धा पेंशन के लिए बुजुर्गों को परेशान करना उचित नहीं है। बैंक के लोग घर पर जाकर भी इस काम को कर सकते थे।"


क्या कहते हैं अधिकारी
प्रखंड विकास पदाधिकारी,राघवेंद्र कुमार
"सभी बुजुर्गों के खाते पर पेंशन की राशि समय पर नहीं जा सकी। इस का एकमात्र कारण किसी के नाम में गलती, तो किसी का आधार कार्ड सही नहीं होना था। इसी सब को सुधारने के लिए कैंप किया गया है ताकि वृद्धा पेंशन की राशि बुजुर्गों के खाते पर जा सके और उनको इसका लाभ मिल सके । और सहूलियत कैसे हो हम लोग इस पर विचार कर रहे हैं।