24 जनवरी 2020

राष्ट्रीय बालिका दिवस और पुरूषवादी समाज

राष्ट्रीय बालिका दिवस : 40 दिनों से अनशन पे है एक बेटी और पुरूषवादी समाज कर रहा उपहास

अरुण साथी


आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का स्वांग भले ही चलता हो पर समाज आज भी बेटी को अनपढ़ रखने और उसे मार देने की प्रवृत्ति में ही विश्वास रखता है। बेटियों की आजादी, उसके स्वाबलंबन, उसकी नौकरी, उसकी उच्च शिक्षा, उसकी भावना, उसके देह, उसकी स्वतंत्रता, उसकी मौलिकता, पारिवारिक स्थितियों में उसके स्वयं के विचार को लेकर यह समाज आज भी ढोंगी है।

ऐसा नहीं करने वाले पर बेटी को कलंकिनी, बना दिया जाता है। उसे बदनाम किया जाता है। उसे तिरस्कृत किया जाता है। उसे प्रताड़ित किया जाता है। 

यह एक सच है और बहुसंख्यक समाज यही कर रहा है। 

इस सच का सामना 10 दिन पूर्व तब हुआ जब दैनिक जागरण के द्वारा मुझे यह सूचना मिली कि आपके आसपास के गांव की ही कोई बेटी है जो हरिद्वार में पद्मावती के नाम से गंगा बचाने के लिए पिछले 26 दिनों से अनशन कर रही है।

उस बेटी के माता-पिता और घर का पता नहीं लग रहा। मैंने इसकी जानकारी अपने व्हाट्सएप ग्रुप बरबीघा चौपाल में दिया। जहां से शाम में हमारे करीबी डॉ दीपक कुमार मुखिया के द्वारा बताया गया कि लड़की का घर नालंदा जिले के मलामा गांव है। जो कि हमसे 8 या 10 किलोमीटर दूर है। इसकी जानकारी मैंने अपने उच्च अधिकारियों को दे दी। फिर उनके द्वारा निर्देश दिया गया कि आपको बेटी के गांव जाना है।
 इस सूचना के बाद शाम हो गया। फिर भी मैं एक अपने साथी रितेश कुमार के साथ उस बेटी से मिलने के लिए चल पड़ा। रास्ते में जानकारी नहीं होने से कुछ परेशानी उठानी पड़ी।  फिर भी उस गांव तक जैसे तैसे पहुंच गया। शाम के 8:00 बजे होंगे । गांव में एक तरह से सन्नाटा पसरा हुआ ही था । इस समय तक सभी लोग खाना खाकर सोने की तैयारी में जा चुके थे। पूछते पूछते पद्मावती के पिता के घर पहुंचा। कई लोग पूछने पर मुस्कुरा कर जवाब देते थे। पद्मावती के पिता के घर के पास पहुंचने पर उसके पिता संकोच पूर्वक मुझसे मिले और जल्दबाजी में हम सब को घर के अंदर लेकर चले गए और एक कमरे में ले जाकर धीरे-धीरे बात करने लगे। पद्मावती के माताजी काफी गुस्से में थी और वह सामने नहीं आई।

पिता से बातचीत कर स्टोरी पर काम करने लगा और सारी जानकारी अपने वरिष्ठ श्री प्रशांत सर को दे दिया। इस दौरान पता चला कि रामकृष्ण परमहंस के वैचारिक धाराओं को आगे बढ़ाते हुए पद्मावती के पिता स्थानीय एक आश्रम में ध्यान करते थे। जहां पद्मावती भी जाती थी और फिर अचानक वह सन्यासिनी हो गई और हरिद्वार चली गई।


अब बेटी के सन्यासिनी होने का दंश समाज ने माता-पिता को अपमानित और प्रताड़ित करके दिया। गांव और आसपास के लोगों ने उसका चरित्र हनन किया। युवा पीढ़ी के लोगों ने फेसबुक पर गंदे गंदे शब्द लिखें।

हालांकि पद्मावती के पिता को भले ही कुछ दिनों तक अपमानित और प्रताड़ित होना पड़ा परंतु समाज में अच्छाई भी सामने आयी। दिनकर न्यास से जुड़े नीरज कुमार और जल पुरुष राजेंद्र प्रसाद पद्मावती के समर्थन में आगे बढ़े और दैनिक जागरण का यह अभियान रंग लाया। नालंदा में बृहत सभा हुई जहां पद्मावती के पिता को भी बुलाया गया और जल पुरुष राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि उनके लिए यह गौरव की बात है कि जो पद्मावती गंगा को बचाने के लिए आमरण अनशन पर 36 दिनों से बैठी हुई है उसके पिता मेरे बगल में बैठे हुए हैं। यह मेरे लिए गौरव का क्षण है।

हमारा समाज आज भी पुरुषवादी है। स्त्री का सम्मान तब तक है जब तक वह जीने के लिए समझौता वादी रहती है। उचित मुद्दे पर भी मुंह नहीं खोलती। समर्पण कर देती है। अथवा विद्रोह करने वाली स्त्रियों का समाज चरित्र हनन भी कर देता है। यह दुखद है। बेटी के बाप होने पर शर्मिंदगी होने लगती है..। 

इस मुद्दे में हिंदुत्ववादी पार्टियों और उनके समर्थकों के छद्म होने का सच भी सामने आता है। पद्मावती से पहले तीन सन्यासियों ने गंगा को बचाने में अपने जीवन का त्याग कर दिया है। पद्मावती भी जिद पर अड़ी हुई है। परंतु केंद्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रहा। धन्यवाद है नीतीश कुमार जी को कि उन्होंने एक बेटी को बचाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और नालंदा के सांसद ने पद्मावती को जाकर मुख्यमंत्री के समर्थन का पत्र भी दिया है।

19 जनवरी 2020

वामपंथी को देश से प्रेम नहीं! राहुल गांधी में नेतृत्व क्षमता नहीं...किसने कहा

सच का सामना


राहुल गांधी में नेतृत्व की क्षमता नहीं। सोनिया गांधी पुत्र मोह में कांग्रेस को बर्बाद कर रहे। वामदलों को भारत से ज्यादा दूसरे देशों से मोहब्बत है। वामदलों के पाखंड के चलते ही देश में हिंदुत्ववादी ताकतों को मजबूती मिली है। पांचवी पीढ़ी के राजबंशी राहुल गांधी का कर्मठ नरेंद्र मोदी के सामने राजनीति में भविष्य नहीं। मोदी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह राहुल गांधी नहीं है। वह सेल्फमेड है। उन्होंने 15 वर्षों तक राज्य को चलाया है। उनके पास प्रशासनिक अनुभव है। वह बेहिसाब मेहनती और कभी छुट्टी पर यूरोप नहीं जाते।


भारत में सामंतवाद खत्म हो रहा है। लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। लेकिन कांग्रेस में ठीक इसके उलट हो रहा है। सोनिया गांधी दिल्ली में है। उनका सल्तनत तेजी से सिमट रहा है। लेकिन उनके चमचे उनको बता यही रहे कि आप ही बादशाह है।



आप लोगों ने कई गलतियां की हैं। लेकिन राहुल गांधी को लोकसभा में भेजकर आपने विनाशकारी काम किया है।


वामदलों के पाखंड के चलते ही हिंदुत्व का प्रसार हो रहा है। वामपंथियों को अपने देश से ज्यादा दूसरे देश से लगाव है। वे सिमटते जा रहे हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं।


अगर हिंदूवादी ताकतों को रोका नहीं गया तो देश बर्बाद हो जाएगा।



उक्त बातें कोई भक्त नहीं कह रहा। बल्कि नरेंद्र मोदी के कट्टर विरोधी, आलोचक और प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने केरल में आयोजित केरल लिटरेचर फेस्टिवल में कही है।



यही बातें यदि किसी और तरफ से आती तो अंध विरोधी हंगामा मचा देते। परंतु देर से ही सही रामचंद्र गुहा ने यथार्थ को केरल की धरती पर रख दिया। शायद उन्हें आत्म ज्ञान प्राप्त हो गया होगा।


देश के तथाकथित सेकुलर अथवा प्रगतिशील मुसलमान भी जब तीन तलाक, हलाल, अमानवीय मुद्दों पर खामोश हो जाते हैं।  विरोध नहीं करते हैं। CAA जैसे इन देशों में प्रताड़ना के शिकार लोगों को मानवीय आधार पर सम्मान देने के कानून का विरोध करते हैं तब जो सर्वधर्म समभाव के विचारधारा वाले सच्चे सेकुलर होते हैं उनके सामने यही कठिन परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है।


तथाकथित सेकुलर और प्रगतिशील मुसलमान भी तुष्टीकरण के प्रभाव में इतने प्रभावित हैं कि वे लोग भी हमेशा चाहते हैं कि उनके पक्ष की ही बात कही जाए।



जब उनके मन की बात नहीं होती तो वह हमलावर हो जाते हैं । कट्टरपंथियों की भाषा में जवाब देने लगते हैं और आज भारत में एक बड़ा वर्ग उनके विरुद्ध इसीलिए उठ खड़ा हुआ है। लोकतंत्र बहुमत का तंत्र है।जब हम राष्ट्रवाद से इतर दुश्मन देश की प्रशंसा और आतंकी विचारधारा वाले लोगों के साथ खड़े हो जाते हैं तो देश का मानस इसके विरोध में खड़ा हो जाता है। वैसे में राम चंद्र गुहा के इस आत्मज्ञान को आत्मसात करने की जरूरत है। हालांकि यह होगा नहीं।


 अब रामचंद्र गुहा तथाकथित सेकुलर के निशाने पर होंगे। उधर कपिल सिब्बल ने भी कह दिया है कि सी ए ए का कोई राज्य विरोध नहीं कर सकता। उसको लागू करने से मना नहीं कर सकता।


 आंखें खोलने की जरूरत है। सच का सामना करने की जरूरत है। हमें एक प्रगतिशील, विकासशील, सर्वधर्म समभाव, सभी को समान मानने वाले समाज को गढ़ने की जरूरत है। किसी भी धर्म अथवा जाति के लोगों को विशेष मानने से दूसरे की कुंठा मुखर होकर सामने  आया है और समाज में विभेद पैदा हो रहा है।


13 जनवरी 2020

कौन बनेगा झूठों का सरदार 20-20

अरुण साथी
सैयां झूठों का बड़ा सरताज निकला, चोर समझी थी मैं थानेदार निकला। वैसे तो अब यह गीत ओल्ड है पर  ओल्ड इज गोल्ड है। आजकल झूठों का बड़ा सरदार कौन यह प्रतियोगिता जारी है और इस प्रतियोगिता में शामिल कई प्रतिस्पर्धी एक दूसरे को विजेता बनाने में लगे हुए है। हालांकि कुछ माह पहले तक झूठों के सरदार का सरताज कजरी बवाल को माना जाता था पर अचानक इस प्रतियोगिता में कई प्रतिस्पर्धी कूद पड़े और उनको पछाड़ दिया।

नव वर्ष में नंबर वन झूठों का सरदार कौन इसका काउंटडाउन अभी चालू है । फिर भी लंबित पात्रा के द्वारा झूठों के सरदार का खिताब पप्पू कुमार को दे दिया गया है। इससे पहले पप्पू कुमार के द्वारा यह खिताब प्रधान चौकीदार महोदय को दिया गया था। परंतु प्रधान चौकीदार महोदय के द्वारा यह खिताब अपने सेनापति महोदय को दे दिया गया था। घुमा फिरा कर यदि बात करें तो झूठों के सरदार का खिताब एक ऐसा खिताब है जिसमें शामिल सभी प्रतिभागी अपने प्रतिद्वंदी को ही यह ख़िताब देने की प्रतियोगिता में लगे हुए।

घुमा फिरा कर बात वहीं की वहीं आ जाती है। जैसे कि जिस बात को लेकर बवाल है उस बात पर सर्वोच्च हाउस में सेनापति महोदय ने ताल ठोक कर कहा कि एनआरसी होकर रहेगा। वहीं नटलीला मैदान में प्रधान चौकीदार महोदय ने कह दिया कि अब तक इसकी कोई चर्चा ही नहीं हुई है। कोई बात नहीं है। अब पप्पू कुमार की बात करें तो तीन देशों के प्रताडित अल्पसंख्यक  को नागरिकता देने के लिए बने नियम को स्वदेशी अल्पसंख्यकों के विरोध में बता कर बावेला खड़ा कर दिया। अब झूठों के सरदार कौन प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में बावेला करने वाले भी शामिल हो गए। तोड़फोड़ और हिंसा सब जगह हो रही है। किसी को पता ही नहीं कि क्यों हो रहा है।


तब तक सड़कों पर उतरने वाले हाथों में पत्थर और माचिस की डिब्बी रखकर निकलने की तैयारी कर रहे हैं। बाकी अंध विरोधी को इससे मतलब है कि अपने विरोधी को धूल चटा देनी है। इस धूल चटाने में देश भी मिट्टी में मिल जाए इसकी परवाह नहीं! वंदे मातरम

07 जनवरी 2020

जाकी रही भावना जैसी..कलिकाल इफेक्ट

जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।

संत तुलसीदास जी ने कभी यह कल्पना नहीं की होगी कि कलिकाल में उनकी इस चौपाई को यथार्थ रूप में देखा जा सकेगा परंतु इस कलिकाल में सोशल मीडिया नामक संयंत्र पर हो रहे षड्यंत्र के रूप में तुलसीदास जी के इस चौपाई को चरितार्थ होते हुए देखा जा रहा है।


पहले तो सीएए और एनआरसी पर इसे देखा गया फिर उससे भी पूर्व कश्मीर में धारा 370 और कश्मीरी पंडित बनाम आतंकवादी हिंसा में देखा गया। फिर मॉब लॉन्चिंग, असहिष्णुता आदि इत्यादि पे देखा गया। और अधिक पीछे जाने के वनस्पति वर्तमान में ही रहना चाहिए। सो देश की राजधानी इंद्रप्रस्थ में स्थित एक विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इसे चरितार्थ होते हुए देखा जा रहा है।


अब कहते हैं कि कई दिनों से नक्सली गुंडों के द्वारा यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन नहीं होने देने के लिए कमर कस ली गई थी। वाईफाई बंद कर दिया गया था और जबरदस्ती रजिस्ट्रेशन कराने वालों को जमकर धो दिया जा रहा था। नतीजा दो दिन पूर्व कुछ और निकला और फिर दनादन धोने का काम शुरू हो गया। नतीजा कुछ और निकला तो फिर नकाब लगाकर धोने वालों बौरो प्लेयर को बाहर से बुला लिया गया। अब उनके द्वारा धोने का काम जबरदस्त ढंग से कर दिया गया। दे दनादन दे दनादन।

नतीजा यह निकला की नकाबपोश होते हुए भी संघी गुंडे के रूप में चिन्हित कर दिए गए पर दूसरे पक्ष वाले भी कहां खामोश रहने वाले थे । उनके द्वारा नक्सली गुंडे का नक्सलवादी हमला कह दिया जा रहा।

कई फोटो और वीडियो वायरल है जिसमें एक नकाबपोश श्रीमती जी के जींस और शर्ट को चिन्हित कर तीर लगा लगा कर नक्सलवादी बताया जा रहा है।

पर अपने जीतो दा को गंभीरता पूर्वक सुनिए। वह कहते हैं कि बिहार के पटना यूनिवर्सिटी में गोली और बम भी चले तो चर्चा नहीं होती और जेएनयू में पाद भी निकले तो हंगामा खड़ा हो जाता है। यह किसी साजिश का हिस्सा नहीं तो और क्या है। जीतो दा कहते हैं कि देश को अस्थिर करने के लिए यह सब हो रहा है। मैंने पूछा देश को अस्थिर करने में कौन लोग शामिल है। तब जाकी रही भावना जैसी, वे दूसरी तरफ उंगली उठा देते हैं! चार उंगली उनकी तरफ चली गयी। कुल मिलाकर बात इतनी। दोनों तरफ है आग बराबर लगी हुई। दोनों जलाने में मजे ले रहे हैं। यह एक ऐसा गेम है जिसमें दोनों की जीत हो रही है। मजे लीजिए। बाकी जो है सो सब ठीक है..