26 अगस्त 2011

अन्ना का आंदोलन लोकतंत्र के लिए खतरा?-राहुल


लो जी, कांग्रेस के तथाकथित युवराज ने आखिर कर मंुह खोल ही दिया पर वही तोंता रटंत? बेचारे को जो सिखाया पढ़ाया गया उसे ठीक से पढ़ कर और याद कर संसद में रखा और कह दिया कि अन्ना का आंदोलन लोकतंत्र के लिए खतरा?

बेचारे को कौन बतलाएगा कि यही आन्दोलन है तो लोकतंत्र जिंदा है वरना उनके दादी ने इसे मारने के लिए कोई कोर कसर उठा नहीं रखी थी।

मुझको तो इस सब में राहुल को प्रोजेक्ट करने की बू आ रही......

पर मीडिया का कैमरा सामने आते ही बेचारे लंगोटी उठा कर भागने लगते है, पता है तोंता रटंत के आलावा भी कुछ बोल न दे...

जय हो, जनाब  को भावी प्रधानमंत्री कहा जाता है.. भगवान भला करे इसे देश का...

24 अगस्त 2011

निर्लज हो तुम...


निर्लज हो तुम...

इतने हील हुजज्त के बाद भी हमारे प्रधानमंत्री को अन्ना से बात करने की फुर्सत नहीं है! आज की सर्वदलिये बैठक के बाद तो एक बात साफ हो गई कि इस देश को लूटने में सभी बराबर के भागीदार है। सबसे दुखद तो यह कि जब देश जल रहा है सरकार की मुखीया विदेश में और उनका लाडला तथाकथित युवराज और भावी प्रधानमंत्री आंचल में मुंह छुपाये सो रहा है। शर्म करो।


निर्लज हो तुम
लोक लाज सब धो कर
पी गए हो..
चुल्लू भर पानी भी
कम है अब
तेरे डूब मरने के लिए...

अरे एक बुढ़ा-नैजवान
जान को लगाकर दांव पर
भारत मां की लाज बचाने
बैठा है
भूखा
कई दिनों से...

और तुम,
तुम सरकार हो
इसलिए
बैठकों में फांकते हो काजू...

और
दाबते इफ्तार के साथ साथ
प्रजातंत्र को चबा चबा कर निगलना चाहते हो

और तुम
अब जबकि
सारा देश
मां की आबरू रक्षार्थ
उठ खड़ा हुआ है
उनकी अस्मत पर आज भी
हाथ डालने से गुरेज नहीं करते.......

12 अगस्त 2011

अथ साष्टांग आसन कथा----(चुटकी)

साष्टांग आसन बहुत ही लाभप्रद और फायदेमंद है और इस आसन को आजमा कर कई लोग फर्श से अर्श तक पहूंच गए है। इस आशन के बारे में अभी बाबा देव ने किसी दूसरे को बताया ही नहीं, बस स्वतः ही आजमाते रहे और कांग्रेस से भी इस आसन को करबाते रहे।

अभी अभी जब बाबा सलबार सूट में दिखे तभी मैं समझ गया कि ऐसा क्यों हुआ। दरअसल इससे पहले बाबा साष्टांग आसन को आजमा रहे थे पर जैसे रही उन्होंने इस आसन का त्याग किया परिणाम कष्टदायक हो गया।

आसन के तरीके
सबसे पहले गहरी सांस ले और झूठ-मूठ का परेशानी अपने चेहरे पर ओढ़ ले। इसके बाद जिस किसी के पास इस आसन का प्रभाव छोड़ना है उसके सामने अपनी कमर नब्बे डिग्री पर झुका ले!

लाभ
कलीकाल में यह आसन काभी फलदायक सिद्ध होता है और सभी बिगड़े काम बनते चले जाते है। इसके फल से उच्च शिखर की प्राप्ती बिना किसी कर्म के ही हो जाती है।

उदाहरण
वैसे तो इसके कई उदाहरण आपको अपने आस पास मिल जाएगे और इतिहास में इसके कई उदाहरण है पर वर्तमान मे अपने मोहन बाबा इस आसन को आजमा कर कहां है सबको पता है।

नोट- 
कमर सीधी रखने वाले लोग आज कल पसंद नहीं किए जाते और अन्न, केजरीबाल, बेदी और भूषण सरीखे लोग इसलिए सरकार की आंख की किरकिरी बने हुए है।

निष्कर्ष
इस युग मे कमर सीधी रखने वाले बिरले ही मिलते है और कहा जाता है कि ईश्वर आज इसी रूप में धरती पर बास करते है।