28 अगस्त 2023

लल्लू-पंजू , लपुझंगा आदमी

लल्लू-पंजू , लपुझंगा आदमी

हे फेसबुक, तुम्हारे इस दिव्य अंर्तजाल पट्ट पर बहुत सारे सेलिब्रिटी हैं इसका अंदाजा मुझे पहले नहीं था। इतने सारे सेलिब्रिटी मेरे फ्रेंड लिस्ट में है, यह तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था । पिछले कुछ दिनों से जब यह मैसेज सभी लोगों ने अपने-अपने पोस्ट में डाल कि फेसबुक का नया नाम मीटा हो रहा है। नियम बदल रहा है।  फोटो तथा अन्य सामग्री को फेसबुक कॉपी कर लेगा।  सभी ने यह घोषणा की कि मेरा फोटो और अन्य सामग्री यहां से कॉपी नहीं किया जाए, तब जाकर मुझे यह एहसास हुआ। यह भी जाना कि इस पूरे विश्व व्यापी मंच पर केवल मैं ही लल्लू-पंजू , लपुझंगा आदमी हूं।


आत: हे फेसबुक, मैं तुमको पूर्ण अधिकार देता हूं कि मुझे जैसे लल्लू-पंजू , लपुझंगा आदमी का फोटो, वीडियो, कविता, आलेख कुछ भी यदि तुम कॉपी करते हो तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। मैं करबद्ध होकर प्रार्थना करता हूं कि मेरी सारी सामग्री को तुम कॉफी करो।  उसका उपयोग करो। ताकि मैं भी सेलिब्रिटी बन जाऊं।

25 अगस्त 2023

शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त करा लेना बिहार के लिए आठवां अजूबा, धन्यवाद तो दिजिए

शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त करा लेना  बिहार  के  लिए  आठवां  अजूबा,  धन्यवाद  तो  दिजिए 





शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त करा लेना बिहार के पूरी व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती थी परंतु इसे सच कर दिखाया गया । बिहार में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले से लेकर आम लोग तक बिहार में कदाचार मुक्त प्रतियोगिता परीक्षा हो जाए, इसे आठवां अजूबा मानते हैं परंतु शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त बीपीएससी के द्वारा करा दिया गया है।

बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल कुमार की कर्मठता को इसका बड़ा श्रेय जाता है। परंतु सरकार के मंशा को भी खारिज नहीं किया जा सकता। नीतीश कुमार के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। जिस तरह से पिछले बीपीएससी की परीक्षा में कदाचार का  वीडियो वायरल हुआ उससे बीपीएससी जैसी संस्था के इज्जत पर बट्टा ही लगा था। इस बार शिक्षक भर्ती परीक्षा कदाचार मुक्त होना  प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी उम्मीद है।


इसके लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति परीक्षा केंद्र पर दर्ज कराना एक कारगर हथियार तो रहा है। कई सेटर के द्वारा यह भी सेटिंग की गई थी कॉपी में नाम और रोल नंबर भरकर सादा छोड़ देना है। बड़े स्तर पर सेटिंग करके उसे भर दिया जाएगा, लेकिन परीक्षार्थी बताते हैं कि 50% से कम प्रश्नों के उत्तर देने वालों से एक आवेदन लिया गया है जिसमें कहा गया है कि वह 50% से कम प्रश्नों का उत्तर दिए है।

 जिस तरह से केंद्र सरकार के सीटेट में कंप्यूटर  परीक्षा में पूरी तरह से कंप्यूटर सेंटर को मैनेज करके कंप्यूटर हैक कर सीटेट की परीक्षा विद्यार्थी पास कर गए थे उससे निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा था। परंतु इस परीक्षा से उम्मीद जगी है।

सत्ता और विपक्ष के प्रतिद्वंदिता का परिणाम कहें अथवा कुछ भी, बिहार आज पूरे देश में नौकरी देने के मामले में अग्रणी राज्य बन रहा है। 175000 शिक्षक की बहाली उसी की एक कड़ी है। नरेंद्र मोदी की सरकार निश्चित रूप से युवाओं को निराश  की है और उम्मीद भी आगे नहीं है। 4 साल पर रेलवे की वैकेंसी एक भी नहीं दी गई है। अन्य वैकेंसी में भी कटौती है। वैसे में बिहार सरकार एक रास्ता तो दिखा रही है।

33 अगस्त को रक्षाबंधन का समाचार जब एक अखबार में देखा...

कल जब मैं इस खबर को देखा, 33 अगस्त को रक्षाबंधन तो अचानक से चौंक गया। विश्वास नहीं हुआ, परंतु व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के इस ज्ञान की पड़ताल भी जरूरी थी। इस बात से अलग सबसे पहले मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आज सोशल मीडिया ने कैसे हमारे दिमाग को हैक कर लिया है। कोई कह दे की कौवा आपका कान लेकर भाग गया है तो हम सीधा कौवा के पीछे दौड़ने लगते हैं हम बिल्कुल ही अपने कान को नहीं देखते।

वायरल अखबार का हिस्सा

 33 अगस्त को रक्षाबंधन की खबर यह बताने के लिए काफी है कि हमारे दिमाग में कितनी नकारात्मकता भरी हुई है । यदि 33 अगस्त इसमें नहीं लिखा हुआ होता तो शायद ही कोई इस बार चर्चा कर पाते और संज्ञान लेते।

 परंतु 33 अगस्त कई जगह लिखा होने भर से यह वायरल हो गया । इसको हम सब ने वायरल किया , मतलब की नकारात्मक चीजों को हम तेजी से पढ़ते हैं और उसे प्रसारित भी कर देते हैं। खैर इस मानसिकता के दौर में आज सोशल मीडिया के वजह से हम लोग बीमार हो गए हैं और अभी तक इसका कोई इलाज भी नहीं मिला है।

 फिर भी मैं यह बताना चाहता हूं कि कल से ही इस खबर की पड़ताल मैं कर रहा था। आखिरकार मैं सफल हुआ और यह खबर फेक खबर निकाली। देखिए सच्ची खबर क्या है।


गंदगी, नकारात्मक, बदबू और चरित्र हनन इन चीजों पर हम तेजी से विश्वास करते हैं और इसे तेजी से फैलाते हैं कई नकारात्मक लोग इन चीजों को समझ गए हैं और इसी हिसाब से वे हमारे दिमाग से खेलते हैं। इसी में 31 अगस्त को 33 अगस्त भर कर देने से हम उनके शिकार हो गए।

ऐसा केवल एक अखबार के कतरन भर का मामला नहीं है। सोशल मीडिया के दौर में सामाजिक तौर पर भी आदमी इसी नकारात्मकता का या तो शिकार बन रहा है या कोई शिकारी बनकर यह काम कर रहा है।

इस दौर में हमें बेहद ही सतर्क, सजग और सावधान रहने की जरूरत है। इसके लिए सोशल मीडिया के एक दशक से अधिक अनुभव के बाद मैंने यह तय किया है कि अब किसी भी बात पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना है और उससे पहले, मैंने यह तय किया है कि अब किसी भी गंभीर से गंभीर मुद्दे पर त्वरित प्रतिक्रिया भी नहीं करनी है।

 समझ बूझकर करनी है और यदि 24 घंटे का इंतजार कर लेते हैं तो कई मुद्दे बदलकर सच के रूप में सामने भी आ जाते है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, सामाजिक, धार्मिक और जातीय स्तर के मामलों में कई बार ऐसा मैंने अनुभव किया है। 

तो बस आखिर में निष्कर्ष यह की किसी भी मामले में अधिक कोई नकारात्मक बात आपको दिखे तो कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम शांत हो जाइए। उसे वायरल नहीं करिए। उसको फैलाइए मत और और आप देखेंगे कि समय के साथ-साथ सामने आ जाएगा।
असल समाचार