लोकतंत्र नहीं, लहर तंत्र है..
नवादा लोकसभा सहित कई क्षेत्रों से कौन उम्मीदवार होंगे अभी तक पता नहीं!! चुनाव में मात्र 25 दिन बचे हैं। जो नेता जी आएंगे वे कौन-कौन से गांव जा पाएंगे? सोच कर देखिए! गांव अगर जाएंगे भी तो क्या वे किसानों का दर्द सुन सकेंगे? क्या गांव के लोग उनको बता सकेगें कि पीने के लिए पानी नहीं है। खेतों में सिंचाई का कोई साधन नहीं है। गांव की सड़क नहीं है। नेताजी के पास इतनी फुर्सत भी नहीं होगी।
मोदी लहर में शायद सब कुछ डूब जाएगा। महागठबंधन के तरफ से भी प्रत्याशी तय नहीं है। यह लोकतंत्र नहीं लहर तंत्र में बदल गया है। जिसे ऊपर से तय करके भेजा जाएगा मजबूरन आप से वोट दीजिए।
प्रत्याशियों को जांचने-परखने, सुनने-समझने, बोलने-बतियाने तक का समय आपको नहीं दिया जाएगा। यह कैसा लोकतंत्र है।
परंतु इस सब के लिए दोषी हम वोटर ही हैं। धर्म, जाति, उन्माद इसी सब पर वोट देना है। रोटी, रोजगार, महंगाई इन सब मुद्दों से कोई मतलब नहीं है। ना तो नेताजी को मतलब है और ना ही जनता को।
डूबा हुआ पहले से फिर डूबेगा? :)
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-03-2019) को "रिश्वत के दूत" (चर्चा अंक-3276) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 15/03/2019 की बुलेटिन, " गैरजिम्मेदार लोग और होली - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंयहां ज्यादा तर बाते मुद्दे से हटकर होती है ,बढ़िया विषय
जवाब देंहटाएंहर दिन कुछ नया सीखे, कंप्यूटर मोबाइल और इंटरनेट से संबंधित ढेर सारी जानकारी अपनी मातृभाषा हिंदी में पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग aaiyesikhe.com पर पधारे
जवाब देंहटाएंसही बात है, सार्थक लेखन,
जवाब देंहटाएंसमय परक समस्या है बेलगाम घोडे जैसी ।
bahut hi badhiya post likha hai aapne Windows 7 window 8 windows 10 download Kaise Kare
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