25 मार्च 2019

चोर से भला चौकीदार (व्यंग्य)..

चोर से भला चौकीदार! (व्यंग्य)
अरुण साथी
दो निपुण चोर एक ही शहर में चोरी करते थे। चोरी करने की अपनी अद्भुत प्रतिभा के दम पर देशभर में दोनों की बड़ी ख्याति थी। कहा जाता है कि दोनों चोर अपने पेशे में इतने माहिर थे की किसी के आंख का बाल भी चोरी कर ले तो उसे एहसास तक नहीं हो!

खैर, दोनों चोर मित्रों की जिंदगी आराम से ही कट रही थी और एक दिन दोनों मित्र चोर मिले तथा कहा कि यार अब इस शहर में कोई ऐसा घर नहीं बचा जहां हमने चोरी नहीं की। अब दूसरे शहर में जाकर अपने धंधे को बढ़ाना चाहिए। दूसरे चोर ने भी इस पर सहमति दे दी। तब दोनों में यह विचार बना कर कि ठीक पांच साल बाद दिल्ली के लाल किला के पास हम लोगों को आज ही के दिन मुलाकात करनी है। दोनों में तय हो गया।

पहला चोर पांच साल तक अपने धंधे में खूब तरक्की की और कभी पुलिस के पकड़ में नहीं आया। पहला चोर तय समय के अनुसार लाल किले पर अपने मित्र चोर से मिलने के लिए रवाना हो गया। पुलिस की नजरों से बचते-बचाते वह लाल किला के क्षेत्र में जैसे ही पहुंचा कि देखा भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है।
वह वहां से बच निकलने का उपाय सोच रहा था तभी देखा के जोर जोर से नारा लगने लगा।

खैर उसे इससे क्या? वह मुड़कर निकलने ही वाला था तभी उसके कानों में अपने दोस्त की आवाज सुनाई दी। वह चौंक कर देखा तो बड़ी सी गाड़ी पर उसका चोर दोस्त ही बैठा हुआ था। वह तो अचंभित रह गया। फिर भी हिम्मत कर अपने मित्र के पास पहुंच गया।

"यार इतनी ठाठ, कैसे! पेशा बदल लिया क्या?"
"नहीं यार पेशा तो वही है बस राजनीति जॉइन कर ली और नाम बदलकर चौकीदार कर लिया है! अब तो चोरी करने के रिकॉर्ड वाला सारा फाइल ही चोरी कर लिया!"
तब से पहले मित्र भी अपना नाम चौकीदार रख लिया है। सुना है उस देश के सभी लोगों का नाम अब चौकीदार हो गया है! इतिश्री!

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-03-2019) को "कलम बीमार है" (चर्चा अंक-3286) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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