समाजवादी इत्र
यह तो जुलुम है भाई ! अब ऐसे लोगों को थर्ड डिग्री ना दे कोई तो क्या करें...? देश से लेकर प्रदेश तक उनका कहर (सॉरी लहर) है और इत्र कारोबारी ने समाजवादी इत्र लांच कर सीधा मुंह पर तमाचा जड़ दिया।
भाई देखा नहीं कि कैसे अधर्म संसद में एक असंत ने महात्मा को भरे मंच से गाली दी। श्रोताओं ने ताली दी। जैसा कि होना था। बहादुर चुप । तो समझ लेना था कि वर्तमान में महात्मा के अनुयाई नहीं जो एक गाल पर थप्पड़ लगे तो दूसरा गाल आगे कर दे।
यहां फंडा क्लियर है। ऐसे में किसी कारोबारी की खुल्लम-खुल्ला चुनौती बर्दाश्त से बाहर है। सो आईटी-ईडी नामक विरोधी संघरक यंत्र का प्रयोग मजबूरी में करना पड़ा। अब रोने से क्या फायदा। पहले सोचना चाहिए था।
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