#उसना_चावल #ब्राउन_राइस
ब्राउन राइस के बारे में बहुत जानकारी मुझे नहीं है । गूगल करने पर भी स्पष्ट जानकारी कहीं नहीं है। अपने यहां उसना (देहाती-उसरा) चावल खाने की परंपरा रही है। उसना चावल बनाना काफी कठिन काम है ।
धान को चूल्हे पर दो बार उबाला जाता है फिर उसे सुखाने के बाद मिल में चावल अलग किया जाता है। इसका रंग भी ब्राउन होता है। हो सकता है इसे ही ब्राउन रईस कहते हों । सुना है कि ब्राउन राइस खाने का चलन महानगरों में बढ़ रहे हैं परंतु गांव में अब उसना चावल खाने वाले लोग कम हो गए हैं।
घरों में उसना चावल बनाने के लिए महिलाओं को काफी मशक्कत करनी पड़ती है । ऐसे में धीरे-धीरे किसान उसना चावल नहीं बनाते हैं । धान को बेच लेते हैं। बाजार से पॉलिस चावल खरीद कर खाते हैं। अरवा चावल खाने का प्रचलन इधर नहीं है।
खैर हर साल की तरह गृह मंत्री के कई बार स्पष्टीकरण ( #हुरकुच्चा) के बाद उनके परिश्रम से उसना चावल को मिल से पिता-पुत्र मिलकर चावल बना कर घर ले आये। होली अपने यहां एक दिन बाद है तो छुट्टी का सदुपयोग भी हो गया।
जी सर,समय और गैस दोनों ही ज्यादा लगता है पर हम तो अब भी ढेकी कूटा उसना ही बनाते है अगर उपलब्ध हो तो क्योंकि यही स्वास्थ्यवर्धक है।
जवाब देंहटाएंसादर।
Gyanwardkhak Jankari
जवाब देंहटाएंहोली शुभ हो।
जवाब देंहटाएंSahi Jankari di hai aapne
जवाब देंहटाएंSahi Jankari ke liye shukriya. Apply for Government Jobs & secure your future
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