बांग्लादेश का तख्तापलट कट्टरपंथी, सीआईए, आईएसआई की साजिश ही है। छात्र आंदोलन का नकाब पहनाया गया। यदि नहीं तो स्वतंत्रता आंदोलन के सैनिक के परिजन को 30 प्रतिशत जो आरक्षण हाई कोर्ट ने दिया उसके नाम पर शुरू हुआ आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आरक्षण खत्म करने के फैसले के बाद खत्म हो जाता।
खैर, अब वहां, अराजक स्थिति है। अल्पसंख्यक हिंदुओं का सरेआम कत्ल किया जा रहा। मंदिरों में आग लगाए जा रहे।
इस सब के बाद भी तथाकथित सेकुलर मोदी विरोध के नाम पर दबी जुबान से भारत में भी इसी तरह की अराजकता के लिए मोदी विरोधी को उकसा रहे।
यह बेहद खतरनाक बात है। कई नेता किंतु परंतु के साथ उकसाने वाली भाषा बोल रहे। कई लोग किंतु परंतु के साथ सोशल मीडिया पर लिख रहे।
ऐसे कुंठित लोग खतरनाक इरादे रखते है। उन्हें पता होना चाहिए। भारत का आम मानस लोकतंत्र पोषक है। देश विरोधी षड्यंत्रों को नाकाम जनता करती है। देश की सत्ता को गिराने में विदेशी ताकतें कैसे काम करती है इसका उदाहरण, पाकिस्तान, श्री लंका, बंगलादेश है। यह महज बंगलादेश के बहाने भारत को घेरने की साजिश है। विश्वास है कि भारत सरकार इसे संभाल लेगी। ताकतवर को कमजोर करने के लिए साजिशें इतिहास का हिस्सा रही है। नया कुछ नहीं है।
चूंकि बंगलादेश की पीएम शेख हसीना भारत समर्थक थी, इसलिए मोदी विरोधी खुशी का सार्वजनिक प्रदर्शन कर रहे। उन्हें यह समझना चाहिए कि मोदी हमेशा नहीं रहेंगे, देश हमेशा रहेगा।
एससी एसटी आरक्षण में क्रिमिलेयर, एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा डीएसपी से जांच, सीआईए, किसान बिल,
किसान आंदोलन, तानाशाही प्रोगांडा, संविधान खतरे में, की आड़ में देश को जलाने का प्रयास दो बार हुआ। केंद्र ने संयम से असफल किया। मोदी को हराने में असफल लोग, देश को हराना चाहते है। यह दुर्भागपूर्ण है।
अरुण साथी
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