रेप की खबरों से मन विचलित है पर इस सामाजिक बुराई से निवटने के लिए हर किसी को व्यक्तिगत रूप से आगे आना होगा। मैं ऐसे ही दूसरी लड़ाई को व्यक्तिगत संधर्ष से अंजाम तक पहूंचा पाया।
घटना डेढ़ साल पुर्व की है। बरबीघा में ही तीन मनचलों ने आठवीं की एक छात्रा के साथ सामुहिक दुष्कर्म किया था। इतना ही नहीं बाद में मोहल्ले के लोगों ने पंचायत लगा कर उसके अस्मत की कीमत 30000 लगाई थी। बरबीघा पुलिस ने पीड़िता के माता पिता को थाना से भगा दिया था। जब मैं खबर बनाने गया था तो मुझे भी पैसे और ताकत की धौंस दिखाई गई थी। पीड़िता के माता पिता सब्जी बेच कर गुजर बसर करते थे।
मैंने इसे चुनौती के रूप में लिया था। खबर बनाई। अखबार और चैनल पर खबर चली। पुलिस से बहस हुई। अपराधी जेल गए और अन्नतः इसी गुरूवार को तीनो अपराधियों को कोर्ट ने दस-दस साल की सजा सुनाई।
इससे पुर्व भी एक आरोपी को पकड़वाने के लिए पुलिस की पूरी पूरी मदद की और आरोपी चौदह साल की सजा काट रहा है।
बस!
दुष्कर्म का शिकार चाहे जो भी ऐसी लड़ाई को हमसब को अपनी लड़ाई मान कर लड़नी होगी और तभी इंसाफ होगा...
और हां रेप की शिकार के प्रति हमारे समाज का नजरिया भी बदलना होगा...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंबस नजरिया बदलने की जरूरत है!
साझा करने के लिए आभार...!
ऐसे दुष्कर्म के प्रति समाज को अपना नजरिया बदलना होगा,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : प्यार में दर्द है,
दुखद हालात हैं
जवाब देंहटाएंदुष्कर्म का शिकार चाहे जो भी ऐसी लड़ाई को हमसब को अपनी लड़ाई मान कर लड़नी होगी और तभी इंसाफ होगा..
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने,यदि किसी भी विषय पर हम अपना मानस बना लें और इमानदारी से प्रयास करें तो सफलता मिलती ही है.