रोज तुम आती हो आंखों में तसव्वुर बनकर।
ख्वाबों में सही, ख्वाब की तामीर तो होती है।।
लैला- मजनूँ की तरह न हो मशहूर अपने किस्से।
आंखों में पाक मोहब्बत की तस्वीर तो होती है।।
संगमरमर से तराशा ताजमहल तुमको कैसे कह दूं।
ताज की दीवारों पर भी दर्द की तहरीर होती है।।
मोहब्बत है तो फिर खुदा की आरजू क्यूं हो।
पाक-मोहब्बत में खुदा की तस्वीर होती है।।
जुनून में कभी मोहब्बत को उदास मत करना।
खुश्बू के पांवों में भी कहीं जंजीर होती है।।
ख्वाबों में सही, ख्वाब की तामीर तो होती है।।
लैला- मजनूँ की तरह न हो मशहूर अपने किस्से।
आंखों में पाक मोहब्बत की तस्वीर तो होती है।।
संगमरमर से तराशा ताजमहल तुमको कैसे कह दूं।
ताज की दीवारों पर भी दर्द की तहरीर होती है।।
मोहब्बत है तो फिर खुदा की आरजू क्यूं हो।
पाक-मोहब्बत में खुदा की तस्वीर होती है।।
जुनून में कभी मोहब्बत को उदास मत करना।
खुश्बू के पांवों में भी कहीं जंजीर होती है।।
वाह !!! सुंदर अभिव्यक्ति..!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: कामयाबी.
भाई साहब गज़ल का हर शैर खूबसूरत बेहद काबिले दाद है
जवाब देंहटाएंलौला-मजनूं की तरह न हो मशहूर अपने किस्से।
आंखों में पाक मोहब्बत की तस्वीर तो होती है।।
लैला- मजनूँ लकर लें।
भाई साहब गज़ल का हर शैर खूबसूरत बेहद काबिले दाद है
जवाब देंहटाएंलौला-मजनूं की तरह न हो मशहूर अपने किस्से।
आंखों में पाक मोहब्बत की तस्वीर तो होती है।।
लैला- मजनूँ लकर लें।
waah @ Arun jee
जवाब देंहटाएंलौला-मजनूं की तरह न हो मशहूर अपने किस्से।
आंखों में पाक मोहब्बत की तस्वीर तो होती है।
लैला- मजनूँ की तरह न हो मशहूर अपने किस्से।
जवाब देंहटाएंआंखों में पाक मोहब्बत की तस्वीर तो होती है।।
संगमरमर से तराशा ताजमहल तुमको कैसे कह दूं।
ताज की दीवारों पर भी दर्द की तहरीर होती है।।
sundar, ek sachhe premi ki pida