बिहार की राजनीति फिजां में लालू प्रसाद यादव ने जहर घोलने का काम प्रारंभ कर दिया है वह भी न्याय के साथ विकास के दावेदार नितीश कुमार की सह पर। लोकसभा चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव और नितीश कुमार के बोल कुछ और थे और वे सभी समाज को लेकर चलने की बात करते थे और चुनाव परिणाम में मुंह की खाने के बाद लालू प्रसाद के बोल बदल गए!
इसी कड़ी में लालू प्रसाद यादव ने ठेकेदारी में साठ प्रतिशत आरक्षण की बात कह कर बिहार को अशांत करने की पहल प्रारंभ कर दी है और नितीश कुमार भी इस पर खतरनाक रूप से चुप है। साथ ही लालू प्रसाद यादव ने कमंडल के मुकाबले मंडल की बात कहकर भी बिहार की राजनीति सुचिता को बिगाड़ने की कोशिश शुरू कर दी है।
हलंाकि लालू प्रसाद के जंगलराज को जिन्होंने देखा और झेला है उन्हें पता है कि वे इसी प्रकार की राजनीति करते है, इसलिए आश्चर्य नहीं होनी चाहिए पर नितीश कुमार की चुप्पी और जल्दबाजी में राजनीति गठजोड़ बिहार की पटरी पर आई राजनीति को बेपटरी करने की दिशा एक पहल है।
बिहार कभी हत्या, अपहरण उधोग, राजनीतिक गुण्डागर्दी, नरसंहार, बदहाल स्वस्थ्य, शिक्षा, सड़क के लिए जाना जाता था और धीरे धीरे नितीश कुमार ने इसे इससे बाहर निकाला है जिसके परिणामस्वरूप विधानसभा चुनाव में उन्हें सभी जातियों मत मिला।
निश्चित रूप से नितीश कुमार ने बिहार को बेहतर किया है और इसकी छवि बदली है पर लोकसभा के उन्मादी चुनाव में मिली हार से वे अब तब उबर नहीं पाये है जबकि विधान सभा चुनाव में परिणाम उनके पक्ष में भी आ सकते थे पर उन्हांेने लड़ाई से पहले ही हार मान कर लालू शरणमं् गच्छामी कर दिया..जो दुखद ही नहीं चिंता का विषय भी बना हुआ है। वहीं देखना यह कि है कि बीजेपी बिहार विधान सभा चुनाव में क्या पत्ते खेलती है और उसके पास लालू प्रसाद के नफरत की राजनीति का क्या काट है पर अभी तक यह गठजोड़ बिहार को फिर से जंगलराज में धकेलने की दिशा में एक पहल ही लगती है और इसका मुकाबला बिहार के जागरूक जनता को समझदारी से ही करना श्रेष्यकर साबित होगा...
अच्छे दिनों की तलाश में लालू का एक और पैंतरा , पैरो टेल ज़मी खोते नीतीश को पूरणतः दफ़न करने का लालूआना अंदाज , नीतिश्वा हम डूबे हैं तो क्या तुझे तैरने देंगे तोउ को भी ले डूबेंगे
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