अरुण साथी
जम्मू कश्मीर सचिवालय पर तिरंगा झंडा लहराया। इस तस्वीर को देख मां भारती के पुत्रों का कलेजा चौड़ा हो गया। परंतु अफसोस यह की इसी मां भारती के कई कुपुत्र के सीने में अचानक से दर्द होने लगे हैं। वे काफी आहत दिखते हैं। उनके आहत होने का कोई ठोस वजह सामने नहीं आता। धर्म के नाम पे समर्थन एक वजह है। कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद कुछ लोग अंध विरोधी हो गए हैं। और उन्हें अपनी माटी, अपने देश और अपने देशभक्ति को भी कटघरे में खड़ा कर दिया। या यह भी कहें कि इसी बहाने उनका देशद्रोह खुलकर सामने आ गया।
महा कवि मैथिलीशरण गुप्त लिखते हैं "जो भरा नहीं भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं। वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ।।
आज कितने पत्थर हृदय वाले लोग भारत मां के आंचल को कलंकित कर रहे हैं। दुनिया भर में भारत की बदनामी हो रही है। इसमें अरुंधति राय, शहला रशीद, कॉंग्रेस पार्टी से लेकर कई बड़े बड़े नाम हैं तो आम लोगों में मुख्य रूप से कई मुस्लिम समुदाय के लोग इसमें खुलकर सामने आए।
यह बेहद ही अफसोस जनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब मां भारती की बात आती है वहां भी लोग राजनीतिक विरोध के रूप में अपने ही देश का विरोध करते हैं। वैसे में छद्म सेकुलरिज्म का जो दाग देश में कई लोगों पर लगा है वह सच होकर सामने आता है।
दरअसल कोई भी सेकुलर उस समय चुप हो जाता है जब उससे इन बिंदुओं पर सवाल पूछा जाता है कि आखिर अपने ही देश का विरोध क्यों ? वैसे ही एक बहस के दौरान जब एक मित्र ने पूछ लिया कि बांग्लादेश को आजाद करा कर जब भारतीय सेना लौट रही थी तो बिहार के किशनगंज पूर्णिया इत्यादि मुस्लिम बहुल क्षेत्र में ट्रेन पर पथराव किया गया था। ऐसा क्यों ? इसका जवाब मैं नहीं दे सका।
आज ही कई लोग 370 को लेकर छाती पीट रहे हैं । परंतु मां भारती के पुत्रों का छाती चौड़ा हो रहा है। जो कश्मीर आज तक मेरे देश का हिस्सा नहीं था उसे देश का हिस्सा बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का मान बढ़ाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सवर्ण आरक्षण और तीन तलाक पर उनके पहल को लेकर ही लगातार उनके समर्थन में रहा हूं। परंतु अंध विरोधी मैं कभी नहीं हो सकता।
हां आलोचना होनी चाहिए। लोकतंत्र की यही मजबूती है। परंतु स्वस्थ आलोचना ही लोकतंत्र को मजबूत कर सकता है। अस्वस्थ, बीमार, कुंठित और हीन भावना से ग्रसित आलोचना देश को दुनिया भर में बदनाम करेगा। कर रहा है। आज अफगानिस्तान, सऊदी अरब, बहरीन, मालदीप, अफगानिस्तान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुस्लिम बहुल देश होते हुए भी देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जा रहा है। इससे भी देशभक्तों का सीना चौड़ा होता है। परंतु देश में वह लोग जो कहते हैं कि देश में बोलने की आजादी नहीं है। प्रधानमंत्री के मौत की दुआ खुलेआम सोशल मीडिया पर मांग रहे। गाली दे रहे । वैसे में उन पर यह देशद्रोही होने का आरोप लगता है तो इसको झूठ कैसे कहा जा सकता।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (27-08-2019) को "मिशन मंगल" (चर्चा अंक- 3440) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार
हटाएंअब धीरे धीरे समझ में आने लगा है प्रेम और द्रोह।
जवाब देंहटाएंजी और कोई कारण भी तो समझ नहीं आता
हटाएंजिसे देशप्रेम नहीं उसे देश में रहने का भी हक़ नहीं होना चाहिए, एक देश एक क़ानून जरुरी है वह भी सख्त
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी विचार प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंExiledros
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