13 जनवरी 2020

कौन बनेगा झूठों का सरदार 20-20

अरुण साथी
सैयां झूठों का बड़ा सरताज निकला, चोर समझी थी मैं थानेदार निकला। वैसे तो अब यह गीत ओल्ड है पर  ओल्ड इज गोल्ड है। आजकल झूठों का बड़ा सरदार कौन यह प्रतियोगिता जारी है और इस प्रतियोगिता में शामिल कई प्रतिस्पर्धी एक दूसरे को विजेता बनाने में लगे हुए है। हालांकि कुछ माह पहले तक झूठों के सरदार का सरताज कजरी बवाल को माना जाता था पर अचानक इस प्रतियोगिता में कई प्रतिस्पर्धी कूद पड़े और उनको पछाड़ दिया।

नव वर्ष में नंबर वन झूठों का सरदार कौन इसका काउंटडाउन अभी चालू है । फिर भी लंबित पात्रा के द्वारा झूठों के सरदार का खिताब पप्पू कुमार को दे दिया गया है। इससे पहले पप्पू कुमार के द्वारा यह खिताब प्रधान चौकीदार महोदय को दिया गया था। परंतु प्रधान चौकीदार महोदय के द्वारा यह खिताब अपने सेनापति महोदय को दे दिया गया था। घुमा फिरा कर यदि बात करें तो झूठों के सरदार का खिताब एक ऐसा खिताब है जिसमें शामिल सभी प्रतिभागी अपने प्रतिद्वंदी को ही यह ख़िताब देने की प्रतियोगिता में लगे हुए।

घुमा फिरा कर बात वहीं की वहीं आ जाती है। जैसे कि जिस बात को लेकर बवाल है उस बात पर सर्वोच्च हाउस में सेनापति महोदय ने ताल ठोक कर कहा कि एनआरसी होकर रहेगा। वहीं नटलीला मैदान में प्रधान चौकीदार महोदय ने कह दिया कि अब तक इसकी कोई चर्चा ही नहीं हुई है। कोई बात नहीं है। अब पप्पू कुमार की बात करें तो तीन देशों के प्रताडित अल्पसंख्यक  को नागरिकता देने के लिए बने नियम को स्वदेशी अल्पसंख्यकों के विरोध में बता कर बावेला खड़ा कर दिया। अब झूठों के सरदार कौन प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में बावेला करने वाले भी शामिल हो गए। तोड़फोड़ और हिंसा सब जगह हो रही है। किसी को पता ही नहीं कि क्यों हो रहा है।


तब तक सड़कों पर उतरने वाले हाथों में पत्थर और माचिस की डिब्बी रखकर निकलने की तैयारी कर रहे हैं। बाकी अंध विरोधी को इससे मतलब है कि अपने विरोधी को धूल चटा देनी है। इस धूल चटाने में देश भी मिट्टी में मिल जाए इसकी परवाह नहीं! वंदे मातरम

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