यह केजरीवाल की जीत है
दुर्भाग्यपूर्ण यह की दिल्ली की जनता को मुफ्त खोर कहकर गाली देने की शुरुआत कर दी गई जबकि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा भी मुफ्त खोरी का खूब प्रलोभन दिया गया। इससे बड़ा दुर्भाग्य यह कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत देने में दिल्ली की जनता का भी बड़ा योगदान रहा। वह भी तब जब राहुल गांधी के द्वारा प्रति वर्ष ₹72000 भेजने का प्रलोभन दिया गया और जनता ने उसे ठुकरा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुना।
दिल्ली में जीत को लेकर भले ही अब तरह-तरह के प्रोपगेंडा चलाए जाएंगे परंतु सौ बात की एक बात की यह केजरीवाल की जीत है। केजरीवाल के विकास की राजनीति की जीत है। केजरीवाल के रणनीति की जीत है। केजरीवाल के द्वारा आम आदमी से अपने संबंध को मजबूत करने की जीत है। आम आदमी तक सहजता से संवाद प्रेषित करने की जीत है। आम आदमी की समस्याओं के समाधान में पहल करने मदद करने अथवा प्रयास करने की जीत है। आम आदमी के लिए बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा मूलभूत समस्याएं हैं। केजरीवाल ने इस पर फोकस किया। इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी के बृहत आभामंडल के तले केजरीवाल ने रणनीति भी बदली। कई राष्ट्रीय मुद्दों पर हमेशा की तरह बेसिर पैर का विरोध करना भी बंद कर दिया। अंत में शाहीन बाग के पक्ष में भी खुलकर उतरने की रणनीति से बचा गया और अंततः भाजपा के रणनीति के काट को लेकर हनुमान चालीसा भी पढ़ा गया।
देश नरेंद्र मोदी के हवाले। दिल्ली केजरीवाल के हवाले। यह एक शुभ संकेत है। विकास की राजनीति को एक रास्ता मिलेगा। नेताओं को प्रेरणा मिलेगी। विकास करने वाला भी जीतता है। यह भी एक सबक है। हालांकि छद्म धर्मनिरपेक्षता बादी इसे शाहिनबाग की जीत और नरेंद्र मोदी की हार के रूप में प्रस्तुत करेंगे। परंतु मैं इसे खारिज करता हूं।
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