न्यूज़ चैनलों पर कोरोना की खबरों को देखकर एकबारगी डर लगने लगता है। डर लगना भी चाहिए। वहां कुछ तथ्यों के साथ बातों को रखा जाता है। मिर्च मसाला को छोड़ दें, तब पर भी। जैसे एबीपी पर चले रिपोर्ट में कहा गया कि एक मेडिकल शोध पत्रिका लैंसेट ने चार से पांच करोड़ लोगों के कोरोना वायरस से मारने की संभावना की रिपोर्ट प्रकाशित की है। यह बेहद डरावनी बात है।
इसी तरह गुरुवार को रिकॉर्ड 10,000 से अधिक कोरोना वायरस देशभर में पाए गए। भारत दुनिया में चौथे नंबर पर पॉजिटिव मरीजों की संख्या को लेकर आ गया है।
यह भी डराने के लिए काफी है। परंतु जमीन पर इसका असर अब नहीं दिखता है। खासकर अपने आसपास तो बिल्कुल नहीं। शादी समारोह में 200 से 500 लोगों का जमावड़ा आम बात है। मृत्यु भोज हो अथवा कोई भी जन्मोत्सव । सभी में भीड़ जुटने की बात अब स्वभाविक है। बाजार में पूर्व की तरह भीड़ भाड़ है। मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग रखना। यह सब केवल अब प्रचार-प्रसार की बातें रह गई है। पता नहीं ऐसा क्यों हुआ है। पर इस लापरवाही से शायद बड़ा नुकसान भी सामने आ सकता है।
लापरवाही केवल आम आदमी के स्तर पर ही नहीं, प्रशासनिक और सरकारी स्तर पर भी दिखने लगा है। अब पॉजिटिव मिलने के बाद गांव को कंटेनमेंट जोन के रूप में विकसित नहीं किया जाता। ना ही नाकेबंदी होती है। ऐसा क्यों हुआ है पता नहीं, पर दो ही बातें हो सकती है। या तो कोरोना कमजोर हुआ है अथवा हम इतने कमजोर हो गए कि भगवान के भरोसे सब कुछ छोड़ चुके हैं। भगवान मालिक...
जी सर यही सच है कि हमलोग डरपोक नहीं है और फिर जबतक सर पर नहीं पड़ता तब तक कोई बात समझ भी तो नहीं आती।
जवाब देंहटाएंयही सच है। जबतक अपने पे न पड़े..हम न सुधरेंगे
हटाएंअच्छी जानकारी दी है आपने।
जवाब देंहटाएंपता नहीं किस आँकड़े पर विश्वास किया जाये?
जवाब देंहटाएंयदि कोई वेक्सीन आ जायेगी , तो ही बचाव संभव होगा , या फिर हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जायेगी तब बच पाएंगे। क्योंकि लापरवाही का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है
जवाब देंहटाएंमैं बस इस पृष्ठ पर ठोकर खाई और कहना है - वाह। साइट वास्तव में अच्छी है और अद्यतित है।
जवाब देंहटाएंकोरोना एक वैश्विक महामारी है इससे बचने के लिए डॉक्टर्स की सलाह माने और सरकार द्वारा दी गई गाइड लाइन का अनुपालन करे | तभी भारत इस महामारी से बच सकता है |
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