यज्ञ के इस मौसम में एक यज्ञ यह भी, अनाथ की मदद
अभी यज्ञ का मौसम चल रहा है। यज्ञ के इस मौसम में बड़ी-बड़ी कंपनियों की तरह सबकुछ है। मोटी राशि लेने वाले बाबा जी मोह माया त्यागने की बात करते हैं। इसके एजेंट भी सक्रिय हैं और गांव में लोगों को तैयार करना उनकी प्रमुखता होती है और फिर इवेंट मैनेजमेंट की तरह सब कुछ उनका सेटिंग रहता है और कमीशन मोटा मिल जाता है। आम लोग धर्म के नाम पर चंदा भी दे देते हैं। इसमें 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक गांव के लोग खर्च कर देते है। इस यज्ञ का फलाफल से आप परिचित ही होगें।
यज्ञ के इस मौसम में सड़कों पर कहीं भी आपके वाहन को रोककर पैसे की जबरन वसूली हो सकती। ऐसा नजारा हमारे बरबीघा में भी देखने को मिल रहा है। जहां 2 महीने से सड़कों पर पैसे की वसूली वाहनों से हो रही है। शेखोपुरसराय से आगे बढ़ने के बाद नावादा से सगमा गांव के पास तो हद ही वसूली हो रही है। यहां प्राइवेट कार वालों से भी जबरन पैसे की वसूली यज्ञ के नाम पर हो रही है।
खैर, पिछले दिनों संत मैरी स्कूल में राजेश ठाकुर के अनाथ बच्चे का निशुल्क नामांकन कराने गया तो चार-पांच साल पहले अहियापुर निवासी रंजीत सिंह के अनाथ बच्चे का हालचाल ले लिया । उस समय मेरे द्वारा भूख से मौत का मामला को उठाया गया तो कई सामाजिक लोगों ने पहल की। उसी दौरान बेटे को गोद लेने का एलान कर छात्रावास में रखकर पढ़ाने का संकल्प तत्कालीन भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच फाउंडेशन के एक समाजसेवी ने लिया। पूछने पर पता चला कि 2 सालों से उनके द्वारा कोई पैसा नहीं दिया जा रहा है। स्कूल के हॉस्टल में बच्चा किसी तरह से रह रहा है।
इसी बीच बच्चे की देखभाल कर रहा गांव निवासी पशु चिकित्सक नीरज ने भी संपर्क किया और बताया कि अब बच्चा स्कूल नहीं जा रहा। उसके पास किताब, स्कूल, ड्रेस, जूता, चप्पल कुछ भी नहीं है। फिर हम लोग हॉस्टल में जाकर उसका हालचाल जानने पहुंचे तो पता चला कि कई बार पैसे की मांग करने पर 2 साल से के हॉस्टल का न्यूनतम खर्च नहीं दिया जा रहा।
खैर, जिस समाज सेवी ने इस बड़े यज्ञ को करने का संकल्प लिया अनाथ को गोद लिया। देर से ही सही, रुपए खर्च दे देंगे , ऐसी उम्मीद है। क्योंकि उनसे संपर्क किए जाने पर उन्होंने अभी तक खर्च देने से इनकार नहीं किया है । हो सकता है उनके पास कुछ मजबूरियां रही होंगी। खैर, हॉस्टल में बच्चा से जब मिला तो शायद ही कोई ऐसा हो जिस की संवेदना ना जगे। दूसरे बच्चे का टूटा हुआ चप्पल, दूसरे का पैंट और शर्ट पहन कर आया। उसके पास ना गंजी, जांघिया, जूता चप्पल, साबुन कुछ भी नहीं।
अनाथ बच्चा हॉस्टल से साथ लेकर हम दो-तीन साथी निकले। मेरे ग्रामीण जूता दुकानदार चिंटू सिंह ने जूता चप्पल तत्काल दे दिया और यह भी ऐलान कर दिया कि कभी भी जूता-चप्पल टूटे तो यहां से लेकर जाना है। फिर दैनिक जागरण के बरबीघा संवाददाता व्यवसाइ रितेश सेठ ने भी सहयोग किया और उसने साबुन, सर्फ, तेल, ब्रश, पेस्ट, इत्यादि दे दिया और खत्म होने पर भी देने का भरोसा दिया।
इसी तरह से बरबीघा में हम से सस्ता कौन रेडीमेड दुकानदार रवि यादव के द्वारा बच्चे को गंजी, जांघिया, टी-शर्ट उपलब्ध करवाए गए और यह भी कहा गया कि जब भी फट जाए तो आकर ले जाना है । वही बच्चे का स्कूल ड्रेस की व्यवस्था खरिद कर दिया गया। वहीं ब्रह्मर्षि स्वाभिमान मंच के विवेक शर्मा से मुलाकात हुई उन्होंने भी थोड़ी आर्थिक मदद की। नीरज कुमार के द्वारा भी आर्थिक मदद दी गई और संत मैरी इंग्लिश स्कूल के प्राचार्य प्रिंस ने भी आर्थिक मदद दिया। कुल मिलाकर बच्चे की पुस्तक और स्कूल बैग इत्यादि की व्यवस्था हो गई। अब बच्चे के 2 साल के हॉस्टल फी को लेकर एक बार फिर से हम लोग समाजसेवी से संपर्क साध रहे। उनतक यह मैसेज पहुंचे तो कहना चाहता हुं कि आप एक अनाथ को गोद लिया है। यह एक यज्ञ है। इसको पूरा करने की कोशिश करिए। यह भी एक यज्ञ ही है। यदि आपके द्वारा इनकार किया जाता है तो फिर से बच्चे का हॉस्टल में रहना मुश्किल होगा। बच्चा मेधावी है।
कुल मिलाकर सोमवार को यज्ञ के इस मौसम में एक अनाथ बच्चे के भविष्य को संवारने और सजाने में कई लोगों ने
मानव सेवा रूपी यज्ञ में अपनी आहुति दी। कल बच्चों के साथ कल राजा के साथ कई अभिभावक थे और उसे इसकी कमी दूर करने की कोशिश की गई। उसके साथ सबने मिलकर चाट भी खाए।
समाज से नकारात्मकता सर्वाधिक होने की बात को खंडित किया जा सके । मतलब कि इस समाज में सकारात्मक, अच्छे लोग अभी जिंदा है इसलिए इसको भी प्रचारित करने की जरूरत है।)
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