13 जून 2023

दूसरों के लिए जीना इतना आसान नहीं होता

पटना के ऑक्सीजन मैन के नाम से जाने वाले गौरव राय भैया आज फिर एक बार लहलहाती धूप में गाड़ी चला कर खुद ही बरबीघा पहुंचे और दो छात्राओं को अपनी जेब के पैसे से साइकिल दिया।  पिछले कई बार की तरह से ही कुछ लोगों ने पूछा कि यह यह ऐसा क्यों करते हैं।




मैं केवल मुस्कुरा देता हूं । क्योंकि इस प्रश्न का जवाब मेरे पास भी नहीं है। न ही होगा। हालांकि मैं सब कुछ जानता भी हूं। परंतु जवाब नहीं दे सकता । कारण यह कि आज के नकारात्मक समाज में चाहे आप कितने भी भलाई का काम करिए, लोगों के मन में उस काम के प्रति किसी न किसी आसक्ति, शुभ लाभ, अथवा छुपी हुई कुछ रहस्य को खोजने में ही मन लगता है। क्योंकि अक्सर समाज में ऐसा ही हो रहा है। निस्वार्थ भाव में कोई किसी को नहीं देता कुछ भी। सो, सभी को उसी नजरिए से देखा जाता है।




पिछले कई महीनों से छात्राओं को साइकिल देने के लिए इन्होंने कई बार कॉल किया और कहा कि 2 छात्रा को चयनित कर भेजिए।   चयनित कर भेजा तो साइकिल दुकानदार से संपर्क कर उसे पैसा खुद दिए और दो साइकिल छात्राओं को वितरित कर दिया। इस भीषण गर्मी में जहां लोग अपने घर से बाहर निकल कर 5 कदम दूर जाना पसंद नहीं करेगा, स्वंय गाड़ी चलाकर पटना से 100 किलोमीटर दूर आकर साइकिल वितरित करते हुए फिर पटना लौट जाना, बड़ी बात है। और इस सवाल का जवाब कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं, मेरे पास नहीं होता । पर यह बता दूं कि उनका कोई एनजीओ नहीं चलता। कोई ट्रस्ट नहीं चलता। इस बार दो साइकिल के साथ उनका  172 वां साइकिल हो गया। 95 वें बार रक्त कर चुके है। कोरोना में घर घर आक्सीजन पहुंचाया। किशोरियों को लिए सेनेटरी पैड मशीन लगा रहे। अनवरत, अहिरनिश, अभिभूत 

1 टिप्पणी: