19 मार्च 2024

साष्टांग दंडवत उच्चतम न्यायालय के निरहंकारी माननीय न्यायाधीश संजय करोल

 भगवान श्री हरि विष्णु के चरणों में साष्टांग दंडवत ये उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश संजय करोल हैं । बीते दिनों इनका बरबीघा के विष्णु धाम मंदिर आना हुआ । पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहते हुए भी ये इस मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के बाद जब यह यहां आए तो उनकी सहजता, समानता और निरहंकारी होना सभी को प्रभावित कर गया। बेहद शालीन, सौम्या और ऊर्जान्वित व्यक्तित्व के धनी संजय करोल के चेहरे पर एक अप्रतिम मुस्कान थी।



आज के समय में जब हम किसी भी मामूली पद , प्रतिष्ठा पर भी पहुंचते हैं तो एक अहंकार का रौब चेहरे पर दिखता है। जितना बड़ा पद होता है उतना बड़ा रौब दिखाते हैं। मामूली से सिपाही, पत्रकार, युट्युबर, क्लर्क, कर्मचारी से लेकर आईएएस, आईपीएस, अधिकारी तक, सभी में यही कुछ देखा जाता है ।


हम अपनी विशिष्टता को दिखाने के लिए इस रौब का प्रदर्शन करते हैं। अपने अहंकार को छोड़कर सहज हो जाना बहुत बड़ी बात होती है । आज के समय में एक मुखिया से लेकर विधायक और मंत्री तक अपने अहंकार की वजह से इतने रौब में होते हैं कि किसी से भर मुंह बात तक करना उचित नहीं समझते, वैसे में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय करोल को देखकर हमें सीख लेनी चाहिए।


भगवान श्री हरि विष्णु के चरणों में साष्टांग दंडवत ये उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश संजय करोल हैं । बीते दिनों इनका बरबीघा के विष्णु धाम मंदिर आना हुआ । पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहते हुए भी ये इस मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के बाद जब यह यहां आए तो उनकी सहजता, समानता और निरहंकारी होना सभी को प्रभावित कर गया। बेहद शालीन, सौम्या और ऊर्जान्वित व्यक्तित्व के धनी संजय करोल के चेहरे पर एक अप्रतिम मुस्कान थी।

आज के समय में जब हम किसी भी मामूली पद , प्रतिष्ठा पर भी पहुंचते हैं तो एक अहंकार का रौब चेहरे पर दिखता है। जितना बड़ा पद होता है उतना बड़ा रौब दिखाते हैं। मामूली से सिपाही, पत्रकार, युट्युबर, क्लर्क, कर्मचारी से लेकर आईएएस, आईपीएस, अधिकारी तक, सभी में यही कुछ देखा जाता है ।

हम अपनी विशिष्टता को दिखाने के लिए इस रौब का प्रदर्शन करते हैं। अपने अहंकार को छोड़कर सहज हो जाना बहुत बड़ी बात होती है । आज के समय में एक मुखिया से लेकर विधायक और मंत्री तक अपने अहंकार की वजह से इतने रौब में होते हैं कि किसी से भर मुंह बात तक करना उचित नहीं समझते, वैसे में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय करोल को देखकर हमें सीख लेनी चाहिए।

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