अरूण साथी
बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हूं, राहुल गांधी का यह बयान बड़ा ही हास्यास्पद है। इससे पहले दर्जनों छोटी भूमिकाओं को निभाने में असफल रहे राहुल गांधी जब इस तरह का बयान देते है तो माथा ठोकने का मन करता है।
राहुल का यह कहना कि यह निर्णय पार्टी नेतृत्व और मनमोहन सिंह पर निर्भर है और भी बचकाना है। सबको पता है कि अभी तक पूरी तरह से असफल युपीए सरकार और अन्डरएचीवर पीएम के नेपथ्य में निर्देशक मां-बेटे ही रहे है।
पहली बार राहुल गांधी को देखने भर का मौका पिछले विधान सभा चुनाव में मिला जब अपने उम्मीदवार अशोक चौधरी के लिए चुनाव प्रचार लिए आए थे। भीषण गर्मी, हजारों की भीड़। भारी भरकम सुरक्षा व्यवस्था। कवरेज के लिए कई चैनलों का ओवी वैन। पैड न्यूज का जलबा। तभी अचानक आजतक का ओवी वैन बैरीकेटिंग के बगल में आकर खड़ी हो गई। रिर्पोटर मंच के नजदीक जाने का रास्ता तलाशने लगे। तभी तीन चार सुरक्षा अधिकारी उनकी ओर लपके, राहुल के आने में अभी देर थी। अधिकारी रिर्पोटर पर बरस रहे थे-गिरफ्तार कर आतंकबादी धोषित कर देगें, क्या समझतो हो। बैन को पीछे ले जाओ। सभी हतप्रभ। मुझे लगा कि राहुल गांधी न होकर कोई आठवां अजूबा आने वाला हो।
फिर राहुल ने भाषण पढ़ा। भावशुन्य, उनके उम्मीदवार का पराजय।
बिहार में लोकसभा हो या विधान सभा चुनाव जहां जहां राहुल गए, उम्मीदवार को मुंह की खानी पड़ी।
एक असफल भूमिका।
फिर 2012 के युपी चुनाव में अपने लोकसभा सीट में अथक परिश्रम के बाद भी उम्मीदवार नही ंजिता सके।
एक असफल भूमिका।
जिस दलित कलावती के घर खाना खाने का नाटक-नौटंकी किए उसके घर को दबंगों ने ढाह-जला दिया, एक व्यक्तिगत परिवार के साथ न्याय-विकास संभव नहीं हो सका।
एक असफल भूमिका।
2009 में मंत्रीमंडल गठन में इनके ईशारे पर कई चहेतों को मंत्री पद मिला और राहुल की भूमिका को देश को नई दिशा देने बाला बताया गया, वही सरकार आज घोटालों का प्रर्याय बन कर रह गई।
एक असफल भूमिका।
जनलोकपाल बिल, अन्ना टीम, बाबा रामदेव और रामलीला मैदान। नेपथ्य में राहुल गांधी मुख्य भूमिका में थे, संसद में जनलोक पाल का खुला विरोध और अपरिपक्व भाषण, अन्ना की गिरफ्तारी, अनशनकारियों पर रात में हमला...
राहुल गांधी अंडरग्राउण्ड...
देश के सामने आतंकबाद, किसानों की आत्महत्या, छद्म धर्मनिरपेक्षता, धार्मिक कट्टरवाद, आतंकियों को सम्मान जैसे मुद्दो पर..
राहुल गांधी अंडरग्राउण्ड....
यह राजनीति का वंशबाद नही ंतो और क्या है कि अनेकों बार कसौटी पर असफल रहे, ज्वलंत मुद्दों की समझ नहीं रखने वाले राहुल गांधी को बार बार नई भूमिका देने की बात होती..या फिर रसातल में जा रहे देश के लिए अंतिम कील की व्यवस्था हो रही है।
अरूण साथी जी नमस्कार...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग 'चौथा खंभा' से लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 22 जुलाई 'कसौटी पर असफल,अंडरग्राउण्ड राहुल गांधी...' शिर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए भास्करभूमि.काम में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव