22 जनवरी 2013

चिंता शिविर में आउल बाबा का इमोशन अत्याचार.....


गर्म प्रदेश की राजधानी में गरमा-गर्म चिंता शिविर हुई। कथनी और करनी से उलट आम आदमी का साथ नहीं देने वाले हाथ के चिंता शिविर से आम आदमी को बड़ी उम्मीद थी। आम आदमी ने सोंचा कि कुछ करे न करे पर मंहगाई की मार झेल रहे आम आदमी की चिंता के लिए शिविर तो लगा। पर हाय रे राजनीति! चिंता तो हुई पर आउल बाबा की।
चिंता शिविर की चिंता भी बाजिब थी। साहब इत्ते सालों से एक चिरयुवा आस्तीन चढ़ा चढ़ा कर भाषण पढ़ रहा, गरीब कमला-विमला के घर में भुईंयां में बैठ का हाइजीनिक खाना खा रहा, भटटा पर जाकर किसानों की आंदोलन में उसके साथ खड़ा हो रहा और जनार्दन महाराज उनके कहने पर वोट ही नहीं कर रही। हद हे भाई। इतना भी कोई निष्ठुर होता है।
सो बेलचा पुराण के अनुभवी वाचकों ने चिंता शिविर में आउल बाबा की चिंता में चिंतित दिखे। उनके सबसे करीबी दिग्गी महाराज ने कहा, का उपाय हो कि आउल बाबा वोट को टर्नप कर सके? का करे की इनके पी.... पी... बनने में आसानी हो? हम तो भोंक भोंक के थक जा रहे है। केतना संभांले।
इसी चिंता को जाहीर करते हुए एक पुराण वाचक ने थोड़ी कड़बी बात कह दी। आदरणीय श्री श्री आउल बाबा को अपना भाषण रट कर याद करने के बाद पढ़ना चाहिए, स्टेज पर देख कर पढ़ते है तो जनता समझती है कि इनको भाषण देना ही नहीं आता और इसका उपाय यह है कि उनको रटन्त ज्ञान होना चाहिए?
एक पुराण वाचक ने तो कुछ और ही बात कही, आउल बाबा के मन से जनता का डर निकालना होगा। जब भी देश के सामने बर्निंग पॉरब्लम होती है बाबा कोने में दुबक जाते है? इसके तोड़ के लिए एक मंत्र है ऑल इज बेल...बाबा इसी का पाठ करें और जब भी देश के सामने ऐसी समस्या हो चेहरा देखा कर बोल दे ऑल इज बेल.....।
एक कथा वाचक महोदय ने बड़े पते की बात कह दी, आउल बाबा के चेहरे पर भाषण पढ़ते समय इम्प्रेशन ही कुछ नहीं होता है सो लगता है कि रोबोट है, इसका तोड़ खोजिए?
सो आउल बाबा का पहला भाषण ही इम्प्रेसिव रहा, एक दम फूल इमोशनल। मैडम के भी आंसू झलके और पूरी पार्टी पगला गई! जय हो!
देश की रक्षा में शहीद हुए हजारों सैनिकों की मांओं का रूदन राजनीति के जयकार में डूब गई! एक बेबा को उसके शहीद पति का सर हम लाकर नहीं दे सके? आम आदमी के घर का चुल्हे का बर्नर बंद हो गया? मंहगाई मंहगाई हाय मंहगाई, देश के बाहर आम आदमी इसकी चिंता कर रहा है और चिंता शिविर में उलटबांसी।
अन्त में मौनी बाबा ने आकर कहा, बस बेटा, इसी तरह इमोशन होते रहना। मम्मी से सिखो कैसे आंसू बहा बहा कर पद का त्याग किया? इतना आंसू बहाओ कि देश गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, मंहगाई सब इसमें बह जाए...

देश चलाना बड़ा आसन है बाबा, घर चले न चले देश तो चलता रहेगा......

यह सब देख-सुन मैं तो गाने लगा-तेरा इमोशन अत्याचार.....

(कार्टुन-गूगल देवता से साभार)



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें