तुम ही कहो प्रिये
क्या वेलेन्टाइन पर
गुलाब देने भर से
समझ जाओगी तुम..
भला कहो तो कैसे...?
शाख से तोड़ कर
एक लाल गुलाब
दे भी दूं तुम्हें
तब भी क्या किसी के शाख
से तोड़ लेने का दर्द
सालता नहीं रहेगा मुझे....
तुम्हारे
नाजुक हाथों में कहीं
चुभ न जाए कांटे
इसका डर भी तो मुझे डराता रहेगा...
तुम्ही कहो प्रिये
जब दिल के धड़कने की सदा
से तुम्हारा दिल न धड़का हो
सांसो की संगीत से
तुम्हारा मन न झुमा हो
तब भला फूल को तोड़कर
किसी को दर्द क्यों दू...
तुम्हीं कहो प्रिये
आखिर
प्रेम तो प्रेमपुर्ण होता है न...
बहुत शानदार उम्दा प्रस्तुति,,,बधाई
जवाब देंहटाएंrecent post: बसंती रंग छा गया
very nice and different perception about love.....
जवाब देंहटाएंBahut Sunder....
जवाब देंहटाएंBahut Sunder....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .एक एक बात सही मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआप सबका बहुत बहुत आभार..............
जवाब देंहटाएंvery heart touching poem..
जवाब देंहटाएंvery beautiful
लाल गुलाबी रंग है झूम रहा संसार
जवाब देंहटाएंसुरज की किरने खुशीयो का बहार
चाँद की चांदनी अपनो का प्यार
मुबारक हो आपको वेलेंटाइन डे का यह त्योहार!