05 जून 2013

भ्रष्टाचार और बुढ़िया दादी (आंखों देखी)

इंदिरा आवास की गड़बड़ी जांचने बड़का साहेब गांव आए हुए थे। कमिश्नर साहब को लोग इसी नाम से पुकार रहे थे। कहा जाता है कि बड़का साहेब ईमनदार ऑफिसर है। एको रूपया घूस नहीं लेते। साहब एक सुदूरवर्ती गांव पहूंचे तो पाया कि एक बुढ़िया रो रही है। जांच हुआ तो पाया कि बु़िढ़या का इंदिरा आवास एक नंबर में बनना था पर अस्सी तक बन गया पर बुढ़िया का नंबर नहीं आया। साहेब ने बुढ़िया दादाी को बुलाया।
‘‘दादी घर क्यों नहीं बना।’’
‘‘की बनतै बउआ, मुखिया जी और बीडीओ साहेब पांच हजार रूपैया मांगो हलखिन त कहां से देतिए हल? एगो बेटा है सेहो पागल....’’
‘‘अच्छा अब बन जाएगा’’
बुढ़िया खुशी हो गई और अपने आंचल में बांधा ढ़ाई रूपया निकाल कर साहेब को देने लगी। बोली-
‘‘साहेब जानो हियै कि बिना घूस के कोय काम नै होबो है त हमरा पास बस इहे पैसा है ऐकरा रख लहो।’’
सहेब सन्न....। उनके निचले मुलाजिल को कोटो त खून नहीं। खांटी ईमानदार साहेब को घूस का ऑफर वह भी खुले आम..।
साहेब ने पैसा लेने से इंकर करते हुए बुढ़िया को समझाया-
‘‘दादी आपका घर बन जाएगा, चिंता नहीं करिए।’’
बुढ़िया उदास हो रोने लगी-
‘‘समझ गया साहेब हमर कोलनी नै बनत, बिना घूस लेले कोलनी कैसे बनत।’’
साहेब ने बुढ़िया को बुलाया और उससे ढ़ाई रूपया बतौर घूस रख लिया। वे समझ गए थे बिना पैसा लिए बुढ़िया दादी का विश्वास ही नहीं होगा। साहेब ने यह भी समझ लिया भ्रष्ट्राचार कितनी गहरी पैठ बना चुकी है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर.एक कटु सत्य.क्या करेंगे अन्ना बाबा.क्या करेगा कोई और.शर्म आती है इस देश की व्यवस्था पर

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  2. क्या से क्या हो गया है इस देश का हाल..भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चली हैं कि घूस का न लेना काम का न होना साबित करने लगा है.
    यह घटना इसी का प्रमाण है.

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