उसकी आंखों में आँसू थे, खून के आँसू। लाल भभुका। चेहरे पर नफरत और गुस्से के मिले-जुले असर से चेहरा लाल-पीला था। वह थाने में बैठी थी। उसकी उम्र बाइस साल करीब होगी और उसे दो साल की एक तथा छः माह की एक बेटी भी थी। उसका पति प्रदेश में कमाने के लिए रहता है और वह अपने ससुराल में। वह अपने पड़ोस की देवर के साथ भाग गई थी। पुलिस ने प्रेमी के पिता को उठा कर थाना में बंद कर दिया जिससे घबड़ा कर दोनों थाना में हाजिर हो गए।
उसे देखने के लिए थाना में भीड़ उमड़ पड़ी है। औरत, मरद सब। जो आ रहा है सब उसे गाली दे रहा है और हँस भी रहा है।
‘‘साली रंडी, बाप-माय के इज्जत मिट्टी में मिला देलकै।’’
‘‘ऐतनै गर्मी हलै त गुप-चुप्प करबइते रहतै हल, भागे के की जरूरत हलै।’’
‘‘ऐसन सब के काट के गांग में दहा देबे के हई।’’
‘‘बोल्हो, भतार बाहर रहतै त लंगड़े मिललै हल जेकरा अपने ठीकाना नै हय।’’
‘‘दूध्ध मुँहा बुतरू के नै देखलकै, रंडिया माय है कि कसाय।’’
जितनी मुँह उतनी बातें। वह अपराधिन की तरह थाना में बैठी थी। निर्लिप्त, निस्पृह। जैस वह पाप, पुण्य से परे हो। जैसे गाली उसे छू ही न रही हो।
उसके बाबूजी उसके बच्चे को बोतल से दूध पिला रहे हैं। तभी दरोगा जी आते है और उनके मुँहा से भी भद्दी गाली निकलती है।
‘‘जल्दी फैसला करो, बाप के साथ जाओगी तो ठीक नहीं तो यार को जेल और तुझे रिमांड होम भेज देगें। रिमांड होम में सब कुकर्म होता है। रोज नया नया मरदाना तोरा पर चढ़तौ त मियाज ठंढा हो जाइतै।’’
तभी उसका यार आया, एक पैर से हल्का लंगड़ाता हुआ।
‘‘कहां से खिलाओगे? अपना तो ठीकाना ही नहीं है।’’
‘‘भरोसा था तभी तो ले गया।’’
‘‘तब जेल जाने को तैयार रहो।’’
‘‘सब तैयार है, जो यह कहेगी वही करूँगा।’’
‘‘साला पासी होके बढ़ही के फँसा लेलही।’’
दरोगा साहेब ने पीटने की धमकी दी तो वह सहम गया और थोड़ा नरम पड़ते ही प्रेमिका से बोला।
‘‘अभी बाबूजी के साथ चली जाओ नहीं तो मुझे जेल भेज देगें, बाद में हमदोनों कोर्ट मैरेज कर लेगें। आवेदन तो दिया हुआ ही है।’’
वह सन्न रह गई, जैसे बिजली का नंगा तार छू लिया हो, करंट लगा। उसने नजर उठा कर कातर भाव से सबको देखा। मुझे भी। मैंने उसे भरोसा दिया। डूबते को तिनके का सहारा।
‘‘घबराओ नहीं, तुम बालिग हो, तुम जो चाहोगी वही होगा।’’
उसके पिता भी उसे समझा रहे थे।
‘‘इहे ले पढ़ा-लिखा के बड़ा कैलियो हल। नाक कटावे? अब हमर मूडी उठतै।’’
तभी उसका पति आया। सब उसपे पिल पड़े।
‘‘कन्याय भी संभाला नहीं गया। पता नहीं है
‘‘जर, जोरू और जमीन जोड़ के, नहीं तो किसी और के।’’
वह स्तब्ध!
पति को देख वह भड़क उठी।
‘‘कुछछो हो, हम एकरा साथ नै जइबो।’’
खबर की औपचारिकता पूरी कर मैं चला आया। थोड़ी देर के बाद दारोगा ने बताया कि उसे पिता के साथ ही भेज दिया गया। पता नहीं क्यूं मैं उदास हो गया। सोंच रहा हँू कि किसी ने एक बार भी उससे नहीं पूछा कि तुम्हारी खुशी क्या है? समाज की इज्जत गई? बाप का नाक कटा? और सदियों से चलता आया यह नककटवा समाज एक बार फिर से प्रेम का लगा घोंट दिया और अखबारों ने संवेदनहीनता के साथ खबर छापी- ‘‘दो बच्चों की मां प्रेमी संग फरारा।’’
लेख पढ़ने के बाद मन उदास हो गया
जवाब देंहटाएंसच कहा ...‘जर, जोरू और जमीन जोड़ के, नहीं तो किसी और के...।
जवाब देंहटाएंRECENT POST - आज चली कुछ ऐसी बातें.
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जवाब देंहटाएंaapka dristikon hame acha laga or aapka ye article bhi . Aaj bhi log wahi schte hai jo unke purwajon ne socha. aaj bhi wo apni wife ko apne charno ki dhul samajhte hai. Kya naari aa yahi astitwa rah gaya hai samaj me . Ek taraf naari ko mata ke rup me dekha jaata hai, ek taraf naari ko behen ke rup me dkha jaata hai ... or dusri taraf use apna decision lene ka koi hak nahi . Kya ye samaj dikhawe ka samaj nahi rah gaya hai ? Jaisa ki dhirendra ji bol rahe hain agar aisi hi baat kaanoon bhi manta to saayad wo kisi naari ko talak ka hak nahi deta or to or saayad agar inki baat hoti to kanoon nam ki koi chij nahi rah jaati. Ye or baat hai ki kanoon ke rakhwaale aaj kanoon ko follow nahi kar rahe.
जवाब देंहटाएंइस घटना ने तो अन्दर तक हिला दिया... मन में हूक सी उठी कि क्या उपाय हो कि प्यार से साथ रहने वालों को लोग आदर दें...
जवाब देंहटाएंइस घटना में एक और शख्स भी था जिसका कोई अपराध ही नहीं था। वह उस महिला के साथ जो बच्ची थी उसने क्या गुनाह किया जो उसके बचपन को ही खत्म कर दिया। सब प्रेम और प्रेम के पुजारी तो हो गए पर उस बच्ची के बारे में कोई नहीं सोचा।
जवाब देंहटाएं@anju @meenakshi
जवाब देंहटाएंKill your children before having extramarital affair
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जवाब देंहटाएंसबसे गंदा काम किया दोनो ने
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