17 सितंबर 2016

शौच के विवाद में महिला सरपंच की बेरहम पिटाई

शौच के विवाद में महिला सरपंच की बेरहम पिटाई

(अरुण साथी)

जिस दिन सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनल देश के प्रधान जी के जन्मोत्सव के जश्न में डूबा है ठीक उसी दिन न्याय देने वाली एक महिला सरपंच के साथ अन्याय की खबर अख़बारों के एक कॉलम की खबर बनकर दम तोड़ रही है।

मामला शेखपुरा जिले के कोसुम्भा थाना के जियनबीघा गांव का है। सरपंच सरिता देवी के साथ गांव के ही दबंगों ने महज इसलिए बेरहमी से मारपीट की क्योंकि उनकी बृद्ध और लाचार सास ने दबंग की जमीन पे शौच कर दी। बिडम्बना यह की जिस सरपंच को न्याय देने की जिम्मेवारी दी गयी है वही सरपंच न्याय के लिए थाने-थाने भटकती रही। थानेदार दुत्कारते रहे। मशक्कत के बाद अरुण महतो और मसुदन महतो को नामजद करते हुए प्राथमिकी दर्ज हो सकी।
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मामला सहज नहीं, संगीन है। जिनके कंधे पर न्याय की जिम्मेवारी लोकतंत्र ने दी है यदि छोटी सी बात पे उसकी दुर्गति हो सकती है तो समझा जा सकता है कि हमारी मानसिकता आज भी आदम युग की ही है।
खुले में शौच को लेकर कितना हाय तौबा मचाया जा रहा है यह किसी से छुपा नहीं है। करोड़ खर्च हो रहे है पर वास्तविक हकदारों को आज भी शौचालय बनाने के पैसे नहीं मिल रहे।

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शौचालय का पैसा गरीबों को मिलने के वजाय सम्पन्न लोग ले रहे है जिनके घर पहले से शौचालय बना हुआ है। यदि ऐसा नहीं होता तो सरपंच को मार नहीं खानी पड़ती।

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करोड़ो का गोलमाल

शौचालय के नाम पे करोड़ों का गोलमाल हुआ है। स्कूल और कॉलेज में लाखों का शौचालय (फाइवर का) ला कर लगा दिया गया पर सब बेकार है। बस पैसे का बारा न्यारा हुआ है और सब दिल्ली से सेटिंग है। जाँच हो तो करोड़ों का गोलमाल पकड़ी जाये..।
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खैर, इस पोस्ट का जन्मोत्सव से बस इतना सरोकार है कि देश के अंतिम पंक्ति तक जबतक तथाकथित विकास न पहुंचे, जश्न जैसा मुझे कुछ नजर नहीं आता, जिनको आता है वे मगन रहे, झूमे, नाचें..बाकि गरीबों की सरकार है..कानून तो अपना काम करेगा ही..

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