देहाती लड़की का लव
(स्थान और सन्दर्भ -एक कसबे की सुनसान गली में प्रेमी युगल का संवाद है। देहाती सी लड़की साधारण भेष-भूषा में है और लड़का सम्पन्न परिवार का लगता है। संवाद स्थानीय मगही भाषा में और सच्ची घटना पे आधारित है।)
लड़का (उग्र होकर)- "छो महीना से कॉल नै करो हीं इहे तोर प्यार हाउ, केकरा से डर लगो हाउ..?"
लड़की (शांतचित) "डरे के कौनो बात नै हइ.. पर माय-बाप,समाज से लाज-बीज तो लगबे करतै ने..."
लड़का-" ई सब बहाना नै बनाउ। इतना डरपोक हीं त प्यार की करो हीं..?"
लड़की- "हमर प्यार के अग्निपरीक्षा मत ले....। अपन्न देख। बड़ी प्यार करो हीं त अभी फोन करके हमर सामने अपन्न बाबूजी के बताऊ...! बोलाऊ यहाँ..!"
लड़का- "ई कैसे होतय...? हमरा लाज-बीज नै है कि...?"
लड़की- "बताउ..!!! मर्दाना होके एतना डरो हीं त हमरा क
काहे ले डरपोक कहो हीं..!!!."
(तभी वहाँ से एक बुजुर्ग गुजर रहे थे। लड़का चुप होकर बगल हट गया।)
लड़की (तंज अंदाज में) "देख लेलीऔ तोर प्रेम औ हिम्मत..! अभी दोसर के देख डर गेलहीं त अपन्न से की हाल होतऊ..! दोसर के डरपोक कहे में जीभ नै कट गेलौ..?"
लड़का- तीन-चार साल पुराना है अपन्न प्यार और दर्शनों दुर्लभ...! कॉल भी नै..! लगो हैय भूल गेलहीं...?
लड़की- "प्यार करो हीं त दिल से करहीं देह से नै...!!! बड़ी देख लेलिऔ तोहर प्यार औ हिम्मत...जे साथ खड़ा नै रह सको हइ...जे दू डेग साथ नै चल सको हइ उ कौची प्यार करतै....!!! तों हमरा भूल जैमहिं पर हम जिनगी भर नै भूलबौ...जहिना जीवन भर ले साथ चले के हिम्मत होतऊ कह दिहें...!!!
मैं ठुकमुक सा सबकुछ सुन रहा था। वहीं बगल में ही खड़ा था। लड़की ने देख के अनदेखा कर दिया था। सबकुछ सुन मन ब्रह्मांड में कहीं खो सा गया..। प्रेम की यह ऊंचाई एक देहाती लड़की की है! शायद सच्चा प्रेम इसी ऊंचाई और गहराई को कहते है। यह गहराई भी तभी आती है जब कोई सच्चा प्रेम करता है...।
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