07 जून 2017

किसान हो, औकात में रहे..

किसान हो, औकात में रहो
देखते नहीं हो
तुम्हारी सरकार
तुम्हारे लिए कितना
कुछ कर रही है

योजनायों का पहाड़ है
फसल बीमा से लेकर
तुम्हारी आत्महत्या के लिए

बड़ी बड़ी कंपनियों का
बीज है
उर्वरक है
प्रचार पे अरबों खर्च है
भाषण है
मन की बात है
और क्या चाहिए..

तुम अन्न उपजाते हो
पराक्रम दिखाते हो
आधी रोटी खा सो जाते हो

फिर क्यों रोटी के लिए
सड़क पे आते हो
क्यों सरकार बहादुर के आगे
रोटी रोटी चिल्लाते हो..

आओ, फाइलों में देखो
और
सरकारी
योजनाओं का लाभ
उठाओ,

आत्महत्या कर आओ
एक लाख लेकर जाओ
या
प्रदर्शन में
सरकार की गोली खाकर
मारे जाओ
दस लाख नकद पाओ

बिकल्प तुम चुनो..
किसान हो
यथार्थवादी बनो
सपने मत बुनो
भगवान मत बनो

किसान हो, औकात में रहे...


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें