04 सितंबर 2018

मौत से लड़कर रोहित का चला जाना गम दे गया...

मौत से लड़कर रोहित का चला जाना.. गम दे गया..
(अरुण साथी)

मुझे ऑक्सीजन की जरूरत है, कहाँ मिलेगा.…..तकलीफ हो रही है...रोहित का कॉल। एक लड़खड़ाती हुई टूटती आवाज में...

मैंने कहा डॉ मुरारी बाबू जे पास आईये...सर को कॉल किया तो उन्होंने कहा कि आ जाईये यहाँ व्यवस्था है...

रोहित पहुंचा पर ऑक्सीजन भी उसे नहीं बचा सका..एम्बुलेंस बुला ही रहा था कि मौत आ गयी...निर्दयी...

रोहित कौन था...

एक नौजवान। बरबीघा चौपाल व्हाट्सएप ग्रुप का एक हिस्सा। ग्रुप अब ग्रुप नहीं एक परिवार जैसा बन गया। सोशल मीडिया से संपर्क में आया । उसी परिवार का हिस्सा था रोहित। किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद भी कुछ साल बाद फिर खराब हो गया। चिकित्सा जगत फैल। दुबारा ट्रांसप्लांट नहीं हो सकता। डायलिसिस के सहारे रहना होगा। डॉक्टर ने फाइनल कह दिया।

डायलिलिस

हर एक दिन बाद करानी है। सरकारी व्यवस्था देखिये की अनुदान के बाद भी लगभग पर्यवेट इतना खर्च। सो आमआदमी थोड़ा पैसे के अभाव में नीयत समय पे डायलिसिस नहीं कराता। रोहित भी यही किया। दो दिन चार दिन बाद कराता था। हालांकि सोशल मीडिया पे मदद की गुहार ने सकारात्मक असर दिखाया और डायलिसिस के लिए पैसे भी लोगों ने दिए फिर भी वह बचत करता। और आखिर कर सोमवार को उसने आंखों के सामने हो दम तोड़ दी।

अदम्य साहसी
किडनी पेशेंट होतो हुए भी रोहित हर सामाजिक कार्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज करता। अदम्य साहसी, परिश्रमी और तेज तर्रार था रोहित। मौत की आहट शायद सुन ली थी। दो दिन पुर फेसबुक पे लिख दिया। तबीयत ठीक नहीं लग रही। अंतिम समय मे भी खूब संघर्ष किया। खुद अकेले गाड़ी चला के जाना और डायलिसिस करा के आना। फिर काम मे जुट जाना। पंद्रह दिन  पहले ही ऑनलाइन प्रोडक्ट बेचने का काम शुरू किया। उसे परिश्रम करते देख हौसला मिलता। स्वतंत्रता दिवस पे खुद जलेबी बनाने की तस्वीर उसने साझा की। दुकान चलाना। सामना लाना।

सोशल मीडिया का परिवार

सोशल मीडिया भले ही नकारात्मक दिखता हो पर यह भी समाज जैसा ही है। समाज में अच्छे बुरे दोनों लोग है। हम अपना अपना समाज बना लेते है। अच्छे लोग अच्छों के साथ बुरे लोग बुरों के साथ। चौपाल एक परिवार जैसा बन गया। हर आदमी परिवार। नकारात्मक लोग दरकिनार हुए और आज भी गाली देते रहते है पर सकारात्मक लोग साथ खड़े है। कोई सदस्य बुरा करता है तो बहुत शर्मिंदगी होती है और लोग परिवार की तरह ही उलाहना देते है। चौपाली ने ऐसा किया। अच्छा करता है तब खुशी होती है और लोग सराहना करते है। समाज यही तो है।

समाज आदमी से बनता है। जैसा आदमी वैसा समाज। आईये अलविदा रोहित के साथ साथ हम सोशल मीडिया के समाज को सकारात्मक, रचनात्मक, सहयोगात्मक बनाए। बरबीघा चौपाल की तरह ही एक प्रतीक बने। रोहित के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

एक अभिभावक की तरह उसने अंतिम क्षण में भी मुझे याद किया। उसकी लड़खड़ाती, कांपती, टूटती पर मौत से नहीं डरती आवाज़ कानों को गूंज रही है..
परिवार का एक सदस्य चला गया।

अंत में अरविंद मानव सर द्वारा भेजी गई गीता के श्लोक ही शाश्वत है..

मृत्यु जन्मवतां वीर जन्मना सह जायते।
अद्य वा अब्दशतान्तैर्वा प्राणिनां मरणं ध्रुवम् ।

      श्रीमद्भागवत महापुराण
        दशम स्कंध अ० १

जातस्य हि ध्रुवोरमृत्युं , ध्रुवं जन्म मृतस्य च ।
तस्मात् अपरिहार्थोयं ,न त्वं शोचितुमर्हसि।

गीता अध्याय २

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