हुड़दंग की बात
क्या खबर लाए हैं नारद मुनि जी । खबर सपाट है महाराज। उन्होंने संविधान बचाने के नाम पर संविधान को मानने से इनकार कर दिया है। वे लोग सड़कों पर फ़ैसला करना चाहते हैं । ठीक शाहबानो प्रकरण की तरह।
उन लोगों का साफ मानना है कि वह संविधान को बचाने के लिए संविधान को ही तार-तार कर देंगे। इसीलिए वे सड़कों पर उतरे हैं। गाड़ियों को जला देना। लोगों को मारने मरने के लिए छोड़ देना। यही उनकी मंशा है। पुलिस वालों को मारो तो सही है और पुलिस वाले मारने लगे तो जुल्म हो जाता है। हम करें तो रासलीला। तुम करो तो कैरेक्टर ढीला।
ये लोग ऐसा कर क्यों रहे । सुना है कि इन लोगों को कहा गया है कि देश से भगा कर पाकिस्तान भेज दिया जाएगा । आपने ठीक ही सुना है। हालांकि ऐसा कहीं कहा नहीं गया है । परंतु बिना कहे हुए भी कुछ लोग बहुत दिनों से यह प्रयास कर रहे थे कि लोग कुछ सुन ले और फिर जो बात कही नहीं गई है उसे सुनकर हंगामा बरपा दिया जाए तो हंगामा हो रहा है।
आदत सी हो गई है इनको। लगता है कि न्याय इनके अनुसार होना चाहिए। न्याय से नहीं। दिक्कत यही है कुछ लोग लगे हुए थे आग में घी डालने के लिए, सो पेट्रोल डाल दिया। अब आग लग रहा है। जब आग लगी है तो राजनीतिज्ञों के द्वारा रोटियां भी सेंकी जाएगी। असल में ऐसे लोगों को लाशों के छीछीएनी गंध पे पकी रोटियों को चाव से चवाने की आदत है।
अब यह कह रहे हैं कि दुश्मन देश पाकिस्तान के लोगों को भी भारत में नागरिकता दे दीजिए। अब बताइए जिन पर जुल्म हुआ उसे भी वही अधिकारा। जिसने जुल्म किया उसको भी वही अधिकार।
इतना ही नहीं गुस्सा तो मीडिया वालों पर भी है। अब एक सच कहो तो एक तरफ से जाइए और दूसरा सच कहो तो दूसरी तरफ से जाइए। संविधान बचाने वाले चौथे खंबे पर भी गुस्सा निकाल रहे हैं। आग लगा रहे हैं।अभिव्यक्ति की आज़ादी मांग रहे हैं और दूसरों की छीन भी रहे है।
सभी लोग अपने मन की बात सुनना चाहते हैं। फेसबुक पर भी यही। उनकी मन की बात कहो तो अच्छा, नहीं करो तो भक्त। दूसरे की मन की बात करो तो अच्छा, नहीं करो तो सेकुलर कुत्ते।
मतलब अपनी डफली, अपना राग । बजाते रहो। लोकतंत्र है भाई। ढीमिर, ढीमिर करते रहिए।
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