09 नवंबर 2020

#नीतीश_में_का_बा


कल अपने बाजार में था। व्यवसाई वर्ग के लोग आशंकित और डरे हुए हैं । नितीश कुमार यदि वापसी नहीं करते हैं तो निश्चित रूप से बिहार #आशंकाओं  और #अनिश्चितता के दौर में होगा । #तेजस्वी_यादव को लेकर उम्मीद समर्थकों में हो सकती है परंतु नीतीश कुमार ने क्या किया इसकी बानगी संपन्न हुए चुनाव को ही देखा जा सकता है। नीतीश कुमार ने क्या नहीं किया इसके कई तर्क कुतर्क दिए जा रहे हैं जिससे सभी वाकिफ हैं।

कई चुनाव कवरेज करने का मौका मिला। मारपीट, गोलीबारी, हत्या, नरसंहार भी देखें। और 2020 का शांतिपूर्ण चुनाव भी देख लिया। बिहार में इसकी उम्मीद शायद ही किसी को होगी कि चुनाव में शांति हो। पत्रकारों को चुनाव कवरेज के दौरान लगातार परेशान होना पड़ता था। कभी उधर मारपीट की खबर तो कभी उधर गोलीबारी की खबर। कभी नरसंहार तक की खबर से रूबरू होना पड़ा है।

इस बार बिहार के चुनाव में एक बड़ा बदलाव यह देखने को मिला कि पहली बार महिला मतदान कर्मियों को लगाया गया। मेरे गांव के बूथ सहित कई बूथों पर सभी मतदान कर्मी महिलाएं थी। कहीं कुछ अभद्र व्यवहार तक नहीं हुआ। यह नीतीश कुमार ने संभव किया है। हालांकि एग्जिट पोल और मीडिया के बदले हुए रुख से संकेत स्पष्ट मिल रहे हैं।

बाहर हाल बिहार अपने भविष्य को लेकर निश्चित की ओर बढ़ता है या अनिश्चित की ओर, कल निर्णय होगा....

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