08 जुलाई 2021

सूअर के साथ-साथ आदमी की संवेदनाऐं भी मर गई

निश्चित ही सूअर, सूअर होता है। सूअर का मर जाना। सूअर का मर जाना है। इस पर कोई संवेदना नहीं । यह आम नजरिया समाज का है। होनी भी चाहिए । शहरों के बज-बजाते नालियों में सूअरों को कांच-किचिर करते देख, भला कौन नाक-मुंह नहीं सिकोड़ता। मैंने भी यही मान लिया। 



दो जुलाई की अहले सुबह गांव का विनोद डोम सपरिवार घर के दरवाजे पर पहुंचा। वह अक्सर घर चला आता है। बेरोकटोक । अंदर आकर भैया और भाभी कहकर चिल्लाने लगता है। जब भी पत्नी  शराब पीकर आने की वजह से खाना नहीं देती तो वह ऐसा करता है। रोटी लेकर चला जाता है। 

सोचा कि आज भी कुछ यही हुआ होगा। मैं नीचे नहीं उतरा। पर वह चिल्लाता रहा। मजबूरी बस जब गया तो सभी परिवार के लोग रो रहे थे। बताया कि उसके एक दर्जन सूअर को जहर देकर मार दिया गया। चलकर तस्वीर ले लिजिए। मैंने सोचा कि यह कौन सी बड़ी बात है। सूअर का मरना, आदमी का मरना थोड़ी है।

मैंने इसे नजरअंदाज कर दिया और कुछ बहाने बनाकर उसे घटनास्थल पर जाने के लिए और पुलिस से मिलने के लिए कहा। वह घटनास्थल पर गया।  एक घंटा के बाद सपरिवार फिर घर के दरवाजे पर पहुंच गया।  वहां मुझे चलने के लिए दबाव देने लगा। विनोद की पत्नी बोली, अखबरिया में तोंही ने छापो हो त किदो गरीबका के इंसाफ मिलो हय। हमरो ले कुछ करहो। इस बार भी मैं कहा कि तुम लोग जाओ। मैं आता हूं। फिर चाय बगैरा पीने लगा। मामले को उतने संजीदगी से नहीं लिया। सोचा कि सूअर की मरने की खबर कहां छापेगी। तीसरी बार उसका बेटा फिर आ गया और बोला- बाउ बोला रहलन हें।


घर से पत्नी ने दवाब दिया । जाहो, गरीब ले उहे पूंजी है। अंततः मैं वहां गया। वहां पहुंचा तो सूअर की मरने की वजह से गरीब परिवार के हुए नुकसान का आकलन कर सका । तीन लाख का नुकसान था।  तब जाकर इसकी संवेदनशीलता को समझ सका। दरअसल इस घटना में एक दर्जन से अधिक सूअर की मौत हुई।  एक गर्भवती थी। लदबद। किसी ने  भोजन में जहर मिलाकर रख दिया था।

सभी परिवार जार जार रो रहे थे। 
विनोद की पत्नी बोली- बेटी के ब्याह कुछ्छे दिन बाद हलो,  एकरे भरोसे ब्याह तय कइलियो हल। अब बेटी के ब्याह कैसे होतो। मैं तस्वीर खींचकर घर चला आया। स्थानीय मिशन ओपी पुलिस से मोबाइल पर संपर्क कर प्राथमिकी दर्ज करने का निवेदन किया । दोपहर तक पूरा परिवार थाना के आगे बैठा रहा।  परिवार के बयान लेकर पुलिस ने प्राथमिकी  दर्ज करने का आश्वासन देकर सभी को घर भेज दिया। शाम में सभी मीडिया कर्मियों को थानाध्यक्ष ने बयान दिया कि एफआईआर दर्ज कर लिया गया। सुबह के अखबारों में विनोद डोम के सूअर के मरने की खबर प्रकाशित हो गई।  
 
फिर अचानक चार दिन बाद गांव के मिथिलेश कुमार ने सूचना दी कि गरीब विनोद डोम के साथ पुलिस ने गजब चालाकी और धोखाधड़ी कर दी। इसके नाम से एफआईआर दर्ज नहीं करके। जो आरोपी है उसके एक रिश्तेदार जितेंद्र के नाम से एफआईआर दर्ज कर लिया है। बयान तो इसका लिया गया परंतु हस्ताक्षर उससे करा लिया गया। इसका गवाह तक में नाम नहीं दिया गया । जब इस पूरे परिवार को इसकी सूचना मिली तो यह सब है स्तब्ध रह गया । इसे उम्मीद थी कि एफआईआर के बाद कुछ मुआवजा इत्यादि मिलेगा। अब तो वह भी गया। बेटी के हाथ पीले करने के सपने भी चले गए और गरीब परिवार तीन लाख का नुकसान हो गया। अब इस नुकसान की भरपाई तो नहीं ही होगी, गरीब परिवार को इसी तरह से इंसाफ से ही वंचित कर दिया गया । जिस पुलिस के लिए आदमी की मौत संवेदना नहीं जगाती उसके लिए सूअर की मौत क्या मायने रखेग। सुना की तर माल लेकर सब कुछ मैनेज कर लिया गया।  मतलब, सूअर ही नहीं मरी, हमारी संवेदनाएं भी मर गई।

9 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ९ जुलाई २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।


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  2. दुखद है। लानत है भी कहें तो किसके लिये?

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  3. दुर्भाग्यपूर्ण. जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो इंसान को कोई और रास्ता खोजना होगा.....

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  4. कर दिए न सु्वराईपना
    भक्षक, भक्षक ही रहेगा
    रक्षक नहीं न बन सकता..

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  5. सच संवेदनाएं मर गई हैं सबकी मर्मस्पर्शी लेखन।

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  6. ओह , इतनी धोखा धड़ी । वाकई अपने स्वार्थ के कारण संवेदनाएँ बची ही नहीं है ।

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  7. बहुत दुःख हुआ अरूण जी। इस प्रकार की घटनाएं कोई बड़ी बात नहीं पर बड़ी बात ये है कि एक गरीब परिवार के साथ ऐसा षड्यंत्र क्यों हुआ। यदि इंसानी रंजिशें थीं तो गरीब सूअर इनका शिकार कैसे बने? बहरहाल,पुलिस का ये रवैया आमजनों ,विशेषकर साधनविहीन तबके में अविश्वास और असुरक्षा की भावना जगाता है। जो भी हो सूअरों की मौत के साथ एक गरीब परिवार की अनमोल पूंजी और सपने भी मिट गए। मार्मिक चित्रण मन को उदास कर गया।

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  8. अजीब हाल है..मार्मिक चित्रण इतनी असंवेदनशीलता!!

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  9. सही कहा जिस पुलिस के लिए आदमी की मौत संवेदना नहीं जगाती उसके लिए सूअर की मौत क्या मायने रखेगी....
    पुलिस सही होती तो ऐसी हरकतें होती ही नहीं
    इन घटनाओं को वही अंजाम देता है जिसकी मुठ्ठी मे पुलिस होती है...
    बहुत ही हृदयविदारक।

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