08 अक्तूबर 2022

आदिमानव की पूंछ और वंशजों का विमर्श

आदिमानव की पूंछ और वंशजों का विमर्श
अरुण साथी

 वर्तमान में हम लोग कलिकाल से एक दो  युग आगे बढ़कर खली-बली काल में जी रहे हैं। इस काल में खलबली के अनेकों अनेक कारण  गढ़ लिए जाते है। नहीं कुछ तो, राक्षस के हेयर स्टाईल पर खलबली करने लगेगें। इसमें आगरा और रांची रिर्टन की संख्या सर्वाधिक होती है। ये लोग सर्वाधिक लोकप्रिय सतत हस्त पकड़, उंगली रगड़ यंत्र पर देखे जाते है।
 देहात में कहावत है। जो ज्यादा होशियार होता है वह तीन जगह चखता है। अब चौथे नंबर, जिह्वा पर चखने का चलन भी बढ़ गया।  जरा सा किसी ने गोबर किया नहीं कि चखने में लग जाते है। उसके बाद छाती चौड़ा कर उसे अपने-अपने हिस्से वाले अ-धर्म का बताकर खलबली मचा देते हैं।  

अभी अभी चखने के बाद यह घोषणा कर दी कि महान अहंकारी राक्षस राज उनके वंशज थे। यहां तक कि अपने वंशज के हेयर स्टाइल तक उनको पता है। उनके पूर्वजों का हेयर स्टाइल बदलकर दूसरे राक्षस  जैसा बनाकर उनका अपमान किया गया है। जैसा की सर्वविदित है। बदबू के तेजी से प्रसारित होने के काल में उसके प्रचार प्रसार के लिए  सोशल मीडिया जैसे माध्यम लाए गए हैं। सो बदबू ही बदबू।

आखिरकार मध्धड़ काका तक गांव में यह बात पहुंची। उन्होंने  जाकर पूछ लिया। बताओ तुम्हारे आदिमानव को राक्षस की तरह दिखाया और विरोध दूसरे लोग कर रहे हैं। उनका दावा है कि उनका राक्षस तुम्हारे राक्षस से ज्यादा प्रतापी था।


खैर, सिनेमा बनाने वालों को अब चाहिए कि बनाने के बाद सेंसर बोर्ड से पहले अखिल भारतीय अ-धर्म महासभा में उसे भेजें। जहां वे आदिमानव के पुंछ का विश्लेषण कर यह बता देंगे कि इसमें कितने बाल होने चाहिए। हेयर स्टाइल कैसा होना चाहिए। वस्त्र कैसे होने चाहिए । उसका रंग कैसा होना चाहिए। जूता और उसके रंग भी बताएंगे । यहां तक की कच्छा और बनियान के बारे में भी अपने वंशजों के विशेषज्ञ सब कुछ बता देंगे। इतना ही  यह भी बता देंगें से इसके अभिनेता उनके अ-धर्म का कभी विरोध भी किया है या नहीं।  जय हो खलीबली काल की।

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