33 अगस्त को रक्षाबंधन की खबर यह बताने के लिए काफी है कि हमारे दिमाग में कितनी नकारात्मकता भरी हुई है । यदि 33 अगस्त इसमें नहीं लिखा हुआ होता तो शायद ही कोई इस बार चर्चा कर पाते और संज्ञान लेते।
परंतु 33 अगस्त कई जगह लिखा होने भर से यह वायरल हो गया । इसको हम सब ने वायरल किया , मतलब की नकारात्मक चीजों को हम तेजी से पढ़ते हैं और उसे प्रसारित भी कर देते हैं। खैर इस मानसिकता के दौर में आज सोशल मीडिया के वजह से हम लोग बीमार हो गए हैं और अभी तक इसका कोई इलाज भी नहीं मिला है।
फिर भी मैं यह बताना चाहता हूं कि कल से ही इस खबर की पड़ताल मैं कर रहा था। आखिरकार मैं सफल हुआ और यह खबर फेक खबर निकाली। देखिए सच्ची खबर क्या है।
गंदगी, नकारात्मक, बदबू और चरित्र हनन इन चीजों पर हम तेजी से विश्वास करते हैं और इसे तेजी से फैलाते हैं कई नकारात्मक लोग इन चीजों को समझ गए हैं और इसी हिसाब से वे हमारे दिमाग से खेलते हैं। इसी में 31 अगस्त को 33 अगस्त भर कर देने से हम उनके शिकार हो गए।
ऐसा केवल एक अखबार के कतरन भर का मामला नहीं है। सोशल मीडिया के दौर में सामाजिक तौर पर भी आदमी इसी नकारात्मकता का या तो शिकार बन रहा है या कोई शिकारी बनकर यह काम कर रहा है।
इस दौर में हमें बेहद ही सतर्क, सजग और सावधान रहने की जरूरत है। इसके लिए सोशल मीडिया के एक दशक से अधिक अनुभव के बाद मैंने यह तय किया है कि अब किसी भी बात पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना है और उससे पहले, मैंने यह तय किया है कि अब किसी भी गंभीर से गंभीर मुद्दे पर त्वरित प्रतिक्रिया भी नहीं करनी है।
समझ बूझकर करनी है और यदि 24 घंटे का इंतजार कर लेते हैं तो कई मुद्दे बदलकर सच के रूप में सामने भी आ जाते है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, सामाजिक, धार्मिक और जातीय स्तर के मामलों में कई बार ऐसा मैंने अनुभव किया है।
तो बस आखिर में निष्कर्ष यह की किसी भी मामले में अधिक कोई नकारात्मक बात आपको दिखे तो कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम शांत हो जाइए। उसे वायरल नहीं करिए। उसको फैलाइए मत और और आप देखेंगे कि समय के साथ-साथ सामने आ जाएगा।
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