बिहारी लिट्टी चोखा और स्नेह की रेसिपी
अरुण साथी
सर्दी शुरू होते ही। लिट्टी चोखा शुरू हो गया। बिहारी लिट्टी चोखा, सिर्फ बिहारी लिट्टी चोखा नहीं होता। उसमें होता है अपनों का प्यार।
लिट्टी चोखा देहाती हो तो उसका स्वाद का क्या कहना। पहले आटा प्रेम से गूंथ कर लोई बनाना। फिर उसके लिए सत्तू तैयार करना दोनों कठिन कार्य है। सत्तू देसी चना का शुद्ध हो तो उसके स्वाद में एक अलग तरह की खुशबू होती है।
सत्तू में औषधीय गुणों से भरपूर जमाइन , मंगरेला तो अनिवार्य जी होता है । फिर अदरक, प्याज, लहसुन, कच्चा मिर्च उसमें मिलने से स्वाद में और बढ़ोतरी हो जाती है। फिर कहीं नींबू का रस मिलाया जाता है तो कहीं-कहीं यदि घर के अचार का मसाला मिला दीजिए तो फिर स्वाद का क्या कहना।
आटा के गूथने में ही थोड़ा सा घी मिला दीजिए तो वह मुलायम तैयार होता है। फिर तैयार सत्तू को आटा में भरकर गोल-गोल बनाया।
गाय के गोबर का बना गोइठा यदि हो तो क्या कहना। गोइठा को लह लह लहका दीजिए। फिर आग थोड़ा शांत होने पर तैयार किए गए कच्चा लिट्टी को रख या ढक दीजिये। लहराते आग में जब लिट्टी पकता है तो उसका जरैंधा स्वाद भी बेहद स्वादिष्ट लगता है।
आग पर लिट्टी पकाने के दौरान जब फट जाता है तब हम समझते हैं कि तैयार हो गया। फिर उसे हम लोग अलग कर लेते हैं । फिर उसे जालीदार सूती के कपड़ा में रखकर उसके ऊपर लगे राख को हम लोग निकाल लेते हैं ।
(इतना सब करने पर लिट्टी चखने का प्रबल इच्छा को आप रोक नहीं सकते। सो हाथ से झाड़ कर उसे ग्रहण करना ही पड़ता है।)
फिर घी के बर्तन में उसको रख कर चारों तरफ घी मिलाया जाता है। कहीं कहीं घी में डुबोकर भी निकाल लेते हैं।
लिट्टी के लिए बैगन चोखा भी बनाना आसान नहीं होता । चोखा बनाने के लिए गोल बैंगन को बीच से काट कर उसमें हरी मिर्च और लहसुन घुसेड़ कर फिर उसी तरह आग में पकाया जाता है।
टमाटर को भी आग में पका लेने के बाद उसमें कच्चा प्याज, अदरख, पका आलू इत्यादि को मिलाकर बैंगन का चोखा (भर्ता )तैयार किया जाता है । इस बैगन के चोखा को और स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें नींबू का रस निचोड़ा जाता है। धनिया पत्ता मिलाया जाता है। और फिर और स्वाद बढ़ाने के लिए कहीं-कहीं लवण भास्कर भी मिला दिया जाता है।
तब जाकर लिट्टी और चोखा का स्वाद अनमोल हो जाता है। वैसे तो घर में आप इस लिट्टी चोखा का आनंद ले सकते हैं। परंतु यार दोस्त के साथ यदि लिट्टी चोखा का आनंद मिले तो उसका स्वाद और बढ़ जाता है ।
उसमें यदि लिट्टी चोखा कारीगर से नहीं, दोस्तों के साथ खुद से बनाई जाए तो फिर क्या कहना। मतलब की बिहार का लिट्टी चोखा , लिट्टी चोखा नहीं होता। वह अपनेपन की पहचान होती है। उसमें अपनेपन का स्वाद होता है। उसमें प्यार और मनुहार होता है। दोस्तों की अटखेलियां होती है। लिट्टी पकाते वक्त जब आग में हाथ जलता है तो उसमे भी आनंद है। हंसी ठिठोली होता है। सभी लोग बिहारी लिट्टी चोखा का आनंद सामूहिक रूप से लीजिए तो अलग आनंद है।
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