जन-जन में रमे राम का जयघोष
घट घट के वासी राम लला भव्य और दिव्या मंदिर में विराज गए। प्रतिमा दिव्य, जीवंत, जैसे अब बोल देंगे, कि तब बोल दें। मुस्कान तो जैसे सबके जीवन में सुख के आलंबन का संदेश हो..! आंखें, जैसे जीवन को उद्दीप्त कर रही..!
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1॥
भावार्थ,
अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथजी को हृदय में रखे हुए नगर में प्रवेश करके सब काम कीजिए। उसके लिए विष अमृत हो जाता है, शत्रु मित्रता करने लगते हैं, समुद्र गाय के खुर के बराबर हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है॥1॥
गोस्वामी तुलसीदास के इस चौपाई के भावों को जन जन के मन में उतरने की कामना के साथ ही आह्लादित और प्रफुल्लित मन भारत की सभ्यता और संस्कृति के इस जय घोष का अभिनंदन करता है।
निश्चित रूप से बर्बर बाबर ने भारत के इसी सभ्यता और संस्कृति को धूमिल करने का प्रयास किया था परंतु भारतीय जनमानस के सनातनी आधार ने 500 सालों की लंबी सहिष्णुता का परिचय देकर विश्व को सहिष्णुता का ही संदेश दिया है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह भव्य और दिव्या रहा। इसमें देश के ख्यातिलब्ध हस्ताक्षरों की उपस्थिति हुई। आह्लादित मनीषियों की आंखें भी यहां छलक आई।
इस सबसे अलग, भगवान राम का जीवन ही शास्त्र के अनुकूल है। भगवान राम का जीवन ही उपदेश है। इस बात को भी हमें नहीं भूलना चाहिए।
सोमवार को सुबह से लेकर रात तक दीपोत्सव ने जन-जन में रमे राम का जयघोष किया। शहर, गांव, घर, गली, सभी तरफ राम का शंखनाद। घरों और गलियों में राम संकीर्तन का नाद गूंज रहा था।
यह सब के सब भाजपा और आरएसएस के द्वारा प्रायोजित नहीं था। यह सब जन-जन रमे राम थे। स्वतःस्फूर्त। आह्लाद प्रस्फुटित।
राजनीतिक दल निश्चित तौर पर वोटो के लाभ हानि के हिसाब से काम करते हैं भाजपा के एजेंडा में ही राम मंदिर प्रथम था, उसने पूरा किया।
कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने जन भावना का अनादर किया। उसने भी दूसरे पक्ष के वोट को साधने के लिए ही यह सब किया, जो आरोप वह भारतीय जनता पार्टी पर लगाते हैं।
मूलतः भारत के जन-जन के रोम रोम में राम हैं इसी का जय घोष सोमवार को देखने को मिला । मेरे जैसा अकिंचन, अधी तो यह भी नहीं कह सकता की राम के जीवन का लेस मात्रा भी अपने जीवन में कोई उतार ले तो जीवन सफल हो जाए, यह केवल उपदेश देने वाली बात होगी। बस...
जनभावनाओं के साथ यह एक राजनीतिक दल का संकल्प था पर अब यह मर्यादित आनंदित सहज राममय भाव का जन जन का स्फूर्त आयोजन दिखता है।यह मानव जीवन और संस्कृति के लिए शुभकारी है। उद्देश्य जनित राम के समर्थन और विरोध से अलग जन जन मे अबाध राम के सहज ही मर्यादित शुभकारी भाव का पुनः जागरण मानव जीवन के लिए मंगलमय हो। अबाध राम को अकिंचन का प्रणाम।
जवाब देंहटाएंराम राज्य आने की बधाई
जवाब देंहटाएं