दुलारचंद यादव हत्याकांड और मोकामा में बाहुबलियों का वर्चस्व
चुनाव प्रचार के दौरान दुलारचंद यादव की हत्या से एक बारगी बिहार में सुकून की सांस ले रहे लोगों को डरा दिया। इस हत्याकांड में जदयू प्रत्याशी और बाहुबली अनंत सिंह सहित उनके समर्थक नामजद किए गए। यहां से बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी भी राजद से उम्मीदवार है।
टाल के बाहुबली राजद के नेता दुलारचंद यादव की दिन दहाड़े हत्या हो गई।
वे कल तक राजद सरकार बनाने का संकल्प दुहरा रहे थे। अचानक जन सुराज के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के साथ आ गए। पीयूष बांका निवासी है। दिल्ली से पढ़ लिख कर राजनीति में बदलवा की मंशा से सक्रिय हुए। और इसके लिए राजनीति के वही सबसे घिनौने विकल्प में से एक , जातिवाद को ही चुना। उन्होंने मोकामा को इसीलिए चुना, क्योंकि यहां उनके स्वजातीय (धानुक) की बहुलता है।
उधर, दुलारचंद यादव का दबदबा टाल में हमेशा रहा है। क्षेत्र में उनका नाम ही काफी था। वहीं यह हत्याकांड अब राजनीति रंग लेगा। इस बीच कई वीडियो सामने आए। पहला, घटना से तुरंत बाद पीयूष प्रियदर्शी लाइव आकर अनंत सिंह समर्थकों पर काफिले में तोड़फोड़ का आरोप लगाया। वहीं अनंत सिंह समर्थकों का भी वीडियो आया जिसमें पीयूष प्रियदर्शी के समर्थकों पर हमला का आरोप लगाया गया।
अब इसमें कई कोन है। इसमें पुलिस का पहला बयान स्पष्ट है। कैसे, क्या हुआ। बताया है। वहीं मोकामा निवासी पूर्व डीजीपी के पुत्र अमृताश आनंद ने कई सवाल उठाए है। इशारा इसके राजनीतिक लाभ लेने का है। कहा है कि सोच कर देखिए, इससे किसे लाभ होगा..!
अब यह हत्याकांड बिहार चुनाव का मुद्दा बनेगा। और जनता इसमें उलझ कर जातीय सौहार्द को तोड़ेगी।
पर इसमें सोचने वाली कुछ बातें है। पहला तो यह, कि कैसे जनसुराज का एक प्रत्याशी टाल के कुख्यात का साथ लेकर राजनीति में बदलाव के शंखनाद को झुठला दिया। दूसरा, यह कि वही अनंत सिंह कि पत्नी अभी राजद से विधायक है। उसी को जिताने के लिए दुलारचंद यादव ने पांच साल पहले परिश्रम किया। और तीसरा, वही सूरजभान सिंह है जो कल तक नीतीश कुमार और बीजेपी के समर्थक थे। गुणगान करते थे। लालू यादव के प्रबल विरोधी। आज हृदय परिवर्तन हो गया।
मतलब यह कि नेताओं का स्वार्थ जहां साधेगा, उनका हृदय परिवर्तित हो ही जाएगा। और जनता, बेचारी। जातीय भावना में ऐसे बहती है, जैसे बाढ़ के पानी में दरख़्त।
अब बिहार बदला है। परिस्थितियां भी बदली है। अब मोबाइल से साक्ष्य जुटाना आसान हुआ हैं ।
अब, बगैर राजनैतिक हस्तक्षेप के बिहार पुलिस को इसमें गंभीरता से अनुसंधान करके, अपराधी को दबोचना चाहिए। त्वरित न्याय मिले, इसके लिए स्पीडी ट्रायल हो। और यदि यह सब नहीं होता दिखता है तो फिर जंगलराज और सुशासन में फर्क करना संभव नहीं होगा..