25 अक्टूबर 2025

महिलाओं पर नीतीश कुमार को और नीतीश कुमार पर बिहार को भरोसा

महिलाओं पर नीतीश कुमार को और नीतीश कुमार पर बिहार को भरोसा

बिहार में सभी जगह नीतीश कुमार चुनाव लड़ रहे है। सभी विपक्षी नीतीश कुमार को हराने में लगे है। ऐसे एहसास सोशल मीडिया से अलग होकर बिहार को देखने वाले देख रहे है। कल बरबीघा के श्री कृष्ण रामरुचि कॉलेज के मैदान में जब अपने भविष्य के लिए दौड़ लगा रहे जेन जी से मिला तो और समझने का मौका मिला। 
मुंडे मुंडे मतिरभिन्ने। यही सिद्धांत है। और होना ही चाहिए। इसी मैदान में जब पहली बार वोट करने वाली  बेटियों में नीतीश कुमार के योगदान को गिनाया तो आश्चर्यचकित होना पड़ गया। एक, दो बेटियों ने दूसरे को मौका देने की बात रही पर उसने भी मिले सहयोग और संबल को याद किया।

यहां यह भी समझने का मौका मिला कि तेजस्वी के सभी परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के वादे पर स्वयं उनके समर्थक को ही भरोसा नहीं है। कहा, यह चुनावी वादे है..!

उधर, जो प्रमुख चीज बिहार चुनाव में दिख रहा है वह देश की राजनीति में बड़े बदलाव के सशक्त संकेत है। इसका श्रेय भी नीतीश कुमार  को है। आज बिहार में नीतीश कुमार ने पुनः महिलाओं पर भरोसा किया है। यह भरोसा आजमाया हुआ है। यह टूटता नहीं है। यह उस समाज के लिए शुभ संकेत है जिसे लगता है कि भरोसा नहीं टूटना चाहिए। ऐसे में पितृसत्तात्मक समाज को चिंतन करना चाहिए। जिस तरह अपने लाभ के लिए वे समाज हित को ताखे पर रख राजनीति को छल, प्रपंच का पर्याय बना दिया उसे पुनः सुचिता के रूप में पुनर्स्थापित करना असंभव है। और इसका नुकसान पुरुष समाज को हो रहा। होना भी चाहिए। बिहार इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। 


अब, आधी आबादी की बात । पितृसत्ता द्वारा आज भी तिरस्कृत आधी आबादी मुखर हो रही। जनतंत्र में भरोसे का प्रतीक बनी है। 

 हालांकि सोशल मीडिया पर उनकी राजनीतिक उपस्थिति नगण्य है। राजनीतिक हिस्सेदारी भी किसी ने उतना नहीं दिया। तब, बिहार की राजनीति में सत्ता का निर्णय महिलाओं के लिए लिये जा रहे। कल नीतीश कुमार इसके लिए  युगपुरुष कहे जाएंगे, तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।

बिहार में शराब बंदी आधी आबादी की मांग थी। उसे पूरा किया गया। महिलाएं आज भी शराब बंदी के साथ है। 

नीतीश सरकार ने पंचायत आरक्षण, सरकारी नौकरी में आरक्षण, बेटियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन जैसे कई युगांतरकारी योजनाओं से बदलाव की नींव रखी। यह आज मजबूत महल के रूप में मुखर है। 

तब बिहार में विपक्ष आपसी नूराकुश्ती में सक्रिय है। और उधर नीतीश कुमार को सीएम बनाया जाएगा या नहीं, यह सवाल सभी में मन में तैर रहा है। बीजेपी किंतु, परंतु में जवाब दे रही। हालांकि बहुत कम सीट रहने पर बनाया तो था। यह भी अमित शाह ने कह दिया। अब कुछ दिन ही शेष है। 


परिणाम जनता तय करेगी पर नया बिहार सबकुछ बोल रहा है, गांव में एक मजदूर का यह तंज कि, "एतना सब कैला के बादो पुच्छो हो जी कि के जिततई.... तब तो खोबारी हो...!!!"

समझिए...बस इतना ही। बाकी सब ठीक है...

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