01 अप्रैल 2011

काश की मैं मुर्ख होता........



काश की मैं मुर्ख  होता!

फटी जेब और टूटा नारा,
पैजामा का करे बेचारा,
होती गठरी खाली तो फिर क्या खोता?
काश की मैं मुर्ख  होता!

विद्धानों की महफिल में
आंख, कान, मुंह (नाक नहीं)
बंद कर रोता,
विद्वतजन कहलानें को 
कम से कम कांटा तो न बोता?
काश की मैं मुर्ख  होता!

न होती कोई भाषा,
न होता कोई मकसद,
न होता कोई देश,
न होती कोई सरहद,
न बनता अणु-परमाणु,
न सजती अपनी तबाही।
अपनों के लहू से धरती का आंचल नहीं भिंगोता? 
काश की मैं मुर्ख  होता!


खग ही जाने खग की भाषा,
हाथ न आता कभी निराशा,
नहीं ऐश्वर्या, नहीं नताशा,
नहीं मलाई, नहीं बताशा,
जाति-धर्म का नहीं तमाशा।
तकिये को पैरों तर रख कर,
घोड़ा बेचकर सोता।
काश की मैं मुर्ख  होता!


बीबी से डरता,
प्रेमिका पे मरता,
अपनी खाली कर, औरों की जेब भरता।
अपनी उपेक्षा पर न कभी सुर्ख  होता?

काश की मैं मुर्ख  होता!

काश की मैं मुर्ख  होता!
काश की मैं मुर्ख  होता!

काश की मैं मुर्ख  होता!


चित्र गूगल से साभार 

11 टिप्‍पणियां:

  1. काश की मैं मूर्ख होता!
    बीबी से डरता,
    प्रेमिका पे मरता,
    अपनी खाली कर, तेरी जेब भरता।
    अपनी उपेक्षा पर न कभी सूर्ख होता?
    ...............ला-जवाब" जबर्दस्त!!

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  2. @ बीबी से डरता,प्रेमिका पे मरता,

    मतलब अभी ..... ? !!

    सच?
    अगर अभी आप न डर रहे हैं, उन पर, न मर रहे हैं “उन” पर, तो क्या आप मूर्ख नहीं है?

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  3. न होती कोई भाषा,
    न होता कोई मकसद,
    न होता कोई देश,
    न होती कोई सरहद,
    न बनता अणु-परमाणु,
    न सजती अपनी तबाही।
    अपनों के लहू से धरती का आंचल नहीं भिंगोता?
    काश की मैं मुर्ख होता!

    बहुत प्रेरणादायी पंक्तियाँ !

    .

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  4. काश की मैं मूर्ख होता!
    बीबी से डरता,
    आपका आशय ९५% पतियों से तो नहीं है ?

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  5. अपनी खाली कर, औरों जेब भरता।
    अपनी उपेक्षा पर न कभी सुर्ख होता?

    वाह ! क्या बात है.

    काश, ऐसे मूर्खों की जनसंख्या देश में और होती!

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  6. आप सबों का हार्दीक धन्यवाद कि आपको मेरी रचना पसंद आई।

    मनोज जी सच ही कह रहा हूं। मैं तो डरता हूं आप आने बारे में क्या कहतें है।

    सुनील जी 95 प्रतिशत का क्या मतलब है यह 5 प्रतिशत कौन है हमे तो नहीं पता आप अपने बारे में कह रहें है क्या?

    मनोज बाबू चिंता मत करिये धीरे धीरे यह विलुप्त होती जा रही है।

    गिरिवाला जी को सादर की आपकों हंसा सका। पसंद करने के लिए आभार।

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  7. भाष्कर जी आप अपना मन्तव्य नहीं बताए। बीबी से डर रहें है या नहीं। जनाब की क्या राय है।

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  8. बहुत बढ़िया ...सच कहा ...
    मूर्खता के बड़े फायदे हैं.....

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  9. काश तू मूर्ख होता
    तो इससे बेहतर कविता रचता।
    हा हा।

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