15 अगस्त 2013

हे भारती देखो तुम










हे भारती देखो तुम,
कैसे अपने ही आज लूट रहे,
कैसे आतंकी धर्मभेष में छूट रहे।

हे भारती देखो तुम,
कैसे, गांधी की टोपी आज लुटेरों के सर पर है,
कैसे आज फांकाकशी भगत सिंह के घर पर है।

हे भारती देखो तुम,
आज कैसे जनता की नहीं है चलती,
देखो, कैसे रक्षक ही अस्मत को मलती।

हे भारती देखो तुम,
कैसे अन्नदाता पेट पकड़ कर सो जाते,
और कहीं पिज्जा खा खा कर कारोबारी नहीं अघाते।

हे भारती देखो तुम
अब गंधारी का ब्रत त्याग करो,
एक बार फिर तुम लक्ष्मीबाई का रूप धरो।

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