अरुण साथी (व्यंग्यात्मक)
पूरी दुनिया में करो -(ना) वैश्विक महामारी से संक्रमित मरीज बड़ी संख्या में छुट्टा साँढ़ की तरह घूम रहे है। जी हाँ, आपको डर लग गया तो जरूर डरिये। आप नजर उठा के देखिये। आपके आसपास। घर में। गली में। पार्टी में। स्कूल में। अब तो गांव के चौखंडी पर भी हाथ में बड़का मोबाइल लिए ये मरीज दिख जाएंगे। इनको कह के तो देखिए यह काम करो -(ना)।
तेजी से फैला संक्रमण
देखा देखी से करो -(ना) के मरीज का संक्रमण बड़ी तेजी से फैला है। इसको फैलाने वाले फेकबुक, टीइंटर, टिकटिक, भाँटअप के मालिक खरबपति बन चैन बंसुरिया बजा रहे, बाकी सबका चैन छीन लिए।
क्या है लक्षण
विक्षिप्त जैसा व्यवहार। सियार जैसा हुआ- हुआ करना। लिजार्ड सिंड्रोम । टिटहीं की तरह पैर ऊपर करके सोना। समझना कि आकाश गिरेगा तो अपने पैरों से रोक कर पूरी दुनिया को केवल वही बचा सकते। दीवाल में ढाही मारना। जहां तहां थूकना सामान्य लक्षण।
कोई वैक्सीन नहीं
इस बीमारी का भी कोई वैक्सीन अभी नहीं बना है। चूंकि पढ़े लिखे से अनपढ़ तक, सभी इससे संक्रमित है; इसलिए कोई वैक्सीन बनाने वाला नहीं बचा।
क्या है नुकसान
अनगिनत। पर अपने यहां जाति धर्म में मारकाट करना प्रमुख है। हद तो यह कि पूरी दुनिया कोरोना नामक संक्रामक बीमारी से लड़ रही है तो अपने यहां करो -(ना) के मरीज कोरोना को धार्मिक बना दिया। इसके मरीज आत्मघाती हो जाते है। अभी देखने को ताजा भी मिला। जान बचाने वालों की जान लेने लगे। अपने देश, गांव समाज के दुश्मन बन आग लगाने लगते है। आदि इत्यादि।
अचूक नुस्खा
यह बीमारी भी कोरोना कि तरह आंतरिक इच्छाशक्ति से अपने अंदर विकसित प्रतिरोधक क्षमता से ही ठीक होती है। इसके लिए कुछ दिन क्वारन्टीन होना और असोलेशन में रहना अतिआवश्यक है। और हाँ, सोशल मीडिया डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य है। अब आप पे निर्भर है। आप ठीक होना चाहते है या (जमाती) आत्मघाती बनना।
इति श्री
भक्त अन्त
भक्त कथा अनंता
आंख बंद कर
पढहु असंता
आपन घर
जलाबे आपे
भूत पिचास
आपही बन जाबे
आपन नाश
बुलाबे आपे
सोई प्रभु के
भक्त कहाबे...
पूरी दुनिया में करो -(ना) वैश्विक महामारी से संक्रमित मरीज बड़ी संख्या में छुट्टा साँढ़ की तरह घूम रहे है। जी हाँ, आपको डर लग गया तो जरूर डरिये। आप नजर उठा के देखिये। आपके आसपास। घर में। गली में। पार्टी में। स्कूल में। अब तो गांव के चौखंडी पर भी हाथ में बड़का मोबाइल लिए ये मरीज दिख जाएंगे। इनको कह के तो देखिए यह काम करो -(ना)।
तेजी से फैला संक्रमण
देखा देखी से करो -(ना) के मरीज का संक्रमण बड़ी तेजी से फैला है। इसको फैलाने वाले फेकबुक, टीइंटर, टिकटिक, भाँटअप के मालिक खरबपति बन चैन बंसुरिया बजा रहे, बाकी सबका चैन छीन लिए।
क्या है लक्षण
विक्षिप्त जैसा व्यवहार। सियार जैसा हुआ- हुआ करना। लिजार्ड सिंड्रोम । टिटहीं की तरह पैर ऊपर करके सोना। समझना कि आकाश गिरेगा तो अपने पैरों से रोक कर पूरी दुनिया को केवल वही बचा सकते। दीवाल में ढाही मारना। जहां तहां थूकना सामान्य लक्षण।
कोई वैक्सीन नहीं
इस बीमारी का भी कोई वैक्सीन अभी नहीं बना है। चूंकि पढ़े लिखे से अनपढ़ तक, सभी इससे संक्रमित है; इसलिए कोई वैक्सीन बनाने वाला नहीं बचा।
क्या है नुकसान
अनगिनत। पर अपने यहां जाति धर्म में मारकाट करना प्रमुख है। हद तो यह कि पूरी दुनिया कोरोना नामक संक्रामक बीमारी से लड़ रही है तो अपने यहां करो -(ना) के मरीज कोरोना को धार्मिक बना दिया। इसके मरीज आत्मघाती हो जाते है। अभी देखने को ताजा भी मिला। जान बचाने वालों की जान लेने लगे। अपने देश, गांव समाज के दुश्मन बन आग लगाने लगते है। आदि इत्यादि।
अचूक नुस्खा
यह बीमारी भी कोरोना कि तरह आंतरिक इच्छाशक्ति से अपने अंदर विकसित प्रतिरोधक क्षमता से ही ठीक होती है। इसके लिए कुछ दिन क्वारन्टीन होना और असोलेशन में रहना अतिआवश्यक है। और हाँ, सोशल मीडिया डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य है। अब आप पे निर्भर है। आप ठीक होना चाहते है या (जमाती) आत्मघाती बनना।
इति श्री
भक्त अन्त
भक्त कथा अनंता
आंख बंद कर
पढहु असंता
आपन घर
जलाबे आपे
भूत पिचास
आपही बन जाबे
आपन नाश
बुलाबे आपे
सोई प्रभु के
भक्त कहाबे...
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं" (चर्चा अंक-3686) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'