03 मई 2020

काश की सीता के लिए धरती नहीं फटती

स्वयंभू भगवान
घोषित होने हेतु
अपने पराये को
निकृष्ट, पापी, कलंकिनी
घोषित करना ही पड़ता है
मर्यादापुरुषोत्तम होने के 
लिए स्त्री की अग्निपरीक्षा
लेनी ही पड़ती है

कलंकिनी हो वनवासिनी
सीता के लिए
कल धरती फटी थी
और वह उसमें समा गयी

आज की सीता 
भी हमारे आसपास
कलंकिनी घोषित हो
अग्नि में समा जा रही
और हम 
मर्यादापुरुषोत्तम
बने पूजनीय हो 
जाते है..

काश की सीता के लिए
धरती नहीं फटती
और वह जीवित रह
नारी सशक्तिकरण
का प्रतीक बनती
तो जाने कितनी
सीता आज जीवित
रहती....



6 टिप्‍पणियां:

  1. सिर्फ़ उदाहरण भर ही होती न प्रतिकार के स्वर पुरूषसत्तात्मक समाज में चरित्रहीनता का प्रतीक है।

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    1. ऐसा भी नहीं है। पुरुषसत्तात्मक समाज के विखंडन ने कई की भूमिका महत्वपूर्ण रही है

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  2. इतना ही सरल होता जितनी सरलता से आपने लिख दिया है तो फिर बात ही क्या थी | असहमत

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    1. स्वागत, पर सरलता से तो नहीं ही लिख दिए, मन का उद्वेग है यह..

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