नया बिहार 4.0 – नीतीश कुमार
जिसने 2005 से पहले का बिहार देखा है, उनके लिए यह अचंभो है! यह नया बिहार है। इस नए बिहार की नई तस्वीरें सोशल मीडिया पर चमक रही हैं। जगमग, जगमग। चकाचक। चमाचम! और इस नए बिहार को नीतीश कुमार ने नया बनाया है। जो कोई पूर्वाग्रह में नहीं होगा, वे सभी इसे स्वीकार करेंगे।
इस नए बिहार में क्या-क्या नया है? तो, राजगीर का खेल मैदान। जब एक बार कोई तस्वीर देखे तो निश्चित भरोसा नहीं होगा। पर सच है।
सच यह भी कि जिस बिहार की सड़कों पर गड्ढे होते थे, वहां अब मेट्रो दौड़ रही है। जिस बिहार में शाम होते ही माता-पिता बच्चों को घर में नहीं देखते तो व्याकुल हो जाते थे, उस बिहार में बिहार के प्रतिपक्ष के नेता शहर के लड़कों के साथ रात में अकल्पनीय जे.पी. पथ (मरीन ड्राइव) पर डिस्को करते हैं। उसी बिहार में देश के विपक्ष के नेता बिहार भर में बुलेट से घूम लेते हैं।
नया बिहार 4.0 में नया बहुत कुछ है। एक धारणा बना दी गई है – बस पहले पाँच साल ही काम हुआ..! यह झूठ है। सच अपने आसपास देखिए। बदलाव को महसूस करिए। दिखेगा। यह कि आपके घरों के आगे से गुजरने वाले बिजली के तार कवर तार में बदल गए। आपके गाँव-घर से पौ फटते ही साइकिल की ट्रिन की आवाज के साथ बेटी शहर पढ़ने जाती है। आपके गाँव-घर की वह बेटी, जो कभी साइकिल से शहर पढ़ने जाती थी, आज स्कूटी से स्कूल पढ़ाने जाती है।
आपके गाँव-घर में बेटी स्नातक पास कर गई और उसके खाते में सरकार ने हौसला बढ़ाने के लिए बिना किसी जाति को देखे 50,000 रुपए भेज दिए। मैट्रिक, इंटर करने पर भी दिए हैं।
आपको दिखेगा कि सरकारी स्कूल में पर्याप्त शिक्षक हैं। सरकारी अस्पताल में प्रतिदिन 200 से 400 बीमार पहुँच रहे हैं और उन्हें बाहर से दवा नहीं लेनी पड़ती। आपको दिखेगा कि जो गरीब, वृद्ध दवा के अभाव में मरने के लिए छोड़ दिए जाते थे, वे भटकते-भटकते अस्पताल पहुँच कर जीवन पा रहे हैं। आपको दिखेगा कि निजी डॉक्टर से इलाज कराने वाले भी पैसा बचाने के लिए सरकारी अस्पताल में एक्स-रे, अल्ट्रा साउंड, सीटी स्कैन, खून जांच इत्यादि करा रहे हैं। आपको दिखेगा कि सरकारी अस्पताल में मौत के मुंह पर खड़े किडनी बेकार हो चुके मरीज का निःशुल्क डायलिसिस से जीवन मिल रहा है।
आपको दिखेगा कि कहीं यदि अपराध हो तो अब लोग थाना नहीं जाते, थाना उनके पास आता है। 112 नंबर सभी की ज़ुबान पर है। 20 मिनट में पुलिस हाजिर। आपको दिखेगा कि आपके जिले में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज हैं।
आपको दिखेगा कि अस्तित्व खो चुका नालंदा विश्वविद्यालय पुनर्स्थापित हो चुका है। दुनिया भर से लोग यहाँ फिर पढ़ने आ रहे हैं। आपको दिखेगा कि पटना में इतना फ्लाई ओवर बन गया कि भूल भुलैया जैसा हर कोई भटक जाता है। सचिवालय का फ्लाईओवर तो आज तक किसी को समझ नहीं आया है। और अटल पथ – जैसे बिहार का है ही नहीं।
गया जी में गंगा जी का पानी आ गया। भागीरथी प्रयास हुआ। पुनपुन नदी पर लक्ष्मण झूला बन गया। सिमरिया धाम बना है। और नया पुल तो जैसे बिहार का है ही नहीं। अचंभो..! पहले गंगा पार जाने को एक-दो पुल, आज आधा दर्जन… अब कितना लिखें?


श्रीमान यह विमर्श और आलेख समय के साथ मूल्यांकन के लिए आधार होगा।
जवाब देंहटाएंकहावत है! दांत की कीमत दांत खोने के बाद महसुस होता है।
विकास और विश्वास को भूल चला था बिहार
आभार है नीतीश कुमार