बरबीघा, शेखुपरा (बिहार)
वर्तमान मीडिया में मोरल वैल्यु की जगह मार्केट वैल्यु को जगह दिया जा रहा है जो कि देश और समाज के लिए खतरनाक है। पुजींवाद जब जब हावी हुआ है तब तब समाज को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
उक्त बातें एसकेआर कॉलेज के पुर्व प्राचार्य डा0 शिवभगवान गुप्ता ने कही। वे श्रीनवजीवन अशोक पुस्तकालय में आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। विचार गोष्ठी का विषय मीडिया का सामाजिक सरोकार रखा गया था। यह पुस्तकाल 1937 में स्थापित है और यहां प्रथम राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद, बिहार के प्रथम सीएम डा0 श्रीकृष्ण सिंह सहित अन्य महापुरूषों को आना हुआ है।
वहीं विचार गोष्ठी मंे बोलते हुए पत्रकार डा0 दामोदर वर्मा ने कहा कि समाज को आइना दिखाना मीडिया का काम है और जैसा समाज होगा वैसी ही मीडिया होगी पर कुछ कमियों की वजह से मीडिया का क्षरण भी हुआ है।
पत्रकार गणनायक मिश्र ने कहा कि मीडिया में क्षरण विज्ञापन की वजह से आया है और पुजींवाद की वजह से रिर्पोटरों के हाथ बंध दिए गए है। उन्होने कहा कि समाज के सरोकार के लिए ही चौथे खंभे की स्थापना हुई है और जबतक समाज रहेगा चौथाखंभा भी अपने दायित्व का निर्वहन करता रहेगा।
वहीं पत्रकार अरूण साथी ने कहा कि मीडिया तमाम नकारात्मकता के बीच आज भी सकारात्मक और सशक्त है और इसी का परिणाम है कि आशाराम बाबू, तरूण तेज पाल जैसे लोग सलाखों के पीछे है और सुप्रिम कोर्ट के जज को भी मीडिया ने कठघरे में खड़ा कर दिया है। वहीं केदारनाथ त्रासदी के समय मीडिया के रोल को लोगों ने सराहा है।
वहीं सुधांशु कुमार ने कहा कि मीडिया का सामाजिक सरोकर घटा है और करोबारी मीडिया आम लोगों तथा दबे कुचलों की आवाज नहीं उठा पाता। साथ ही नीरज कुमार ने कहा कि प्रिन्ट मीडिया आज भी इलेक्ट्रोनिक मीडिया से ज्यादा विश्वसनीय है।
वहीं पत्रकार निरंजन कुमार ने कहा कि विज्ञापन और पेड न्यूज के समय में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल तो उठे है पर इससे उबरने के लिए मीडिया को ही पहल करनी होगी। उन्हांेने कहा कि आज अखबार गली-मोहल्ले का हो गया है और इसमें जगह की कमी नहीं है फिर भी दबे-कुचलों की आवाज इसमें नहीं होती है।
समारोह में पत्रकार दीपक कुमार, रंजीत कुमार, मनोज कुमार ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। हलाँकि बीच में बिजली गुम हो गयी और इमरजेंसी से काम चलाना पडा....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (04-03-2014) को "कभी पलट कर देखना" (चर्चा मंच-1541) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मीडिया अब यथार्थपरक की तुलना में व्यावसायिक हो गया है.
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