आपके इंतजार में उदास थी आंखें।
आप आये तो आंखें में नमी क्यूं है।।
मोहब्बत तो खुदा की नेमत है।
फिर आदमी में इसकी कमी क्यूं है।।
गीता और कुरान का पैगाम तो मोहब्बत है।
फिर उन्हीं पन्नों पे धूल सी जमी क्यूं है।।
दिनों-ईमां से बढ़कर कोई मजहब नहीं होता।
फिर मजहबी जलसो में हुजूम क्यूं है।।
आप आये तो आंखें में नमी क्यूं है।।
मोहब्बत तो खुदा की नेमत है।
फिर आदमी में इसकी कमी क्यूं है।।
गीता और कुरान का पैगाम तो मोहब्बत है।
फिर उन्हीं पन्नों पे धूल सी जमी क्यूं है।।
दिनों-ईमां से बढ़कर कोई मजहब नहीं होता।
फिर मजहबी जलसो में हुजूम क्यूं है।।
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंगीता और कुरान का पैगाम तो मोहब्बत है।
जवाब देंहटाएंफिर उन्हीं पन्नों पे धूल सी जमी क्यूं है।।
एक से बढ़कर एक पंक्तियाँ..... वाह
Kya bat...umda
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