मध्य प्रदेश धार में सिपाही भर्ती के दौरान दलित वर्ग, सामान्य वर्ग और पिछड़े वर्ग के युवाओं के सीने और ऊंचाई की नाप आरक्षण के हिसाब से लेने के लिए उनके सीने पर SC, जनरल और ओबीसी लिख दिया गया। मीडिया की माया देखिए, आज यह मामला तूल पकड़ चुका है। ऐसा करने वाले पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है। बीजेपी को इसी वजह से दलित विरोधी बताया जा रहा। यह सब मीडिया की माया है।
जनरल और ओबीसी वर्ग वालों के सीने पर लिखे हुए शब्दों को छुपाकर केवल दलित युवाओं के शब्दों को उभार, देश में वर्तमान समय में दलित दलित खेलने के मुद्दे को हवा दी जा रही है। इसी तरह से हाल ही में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के कई बयानों को तिल का ताड़ बनाया गया। मीडिया की ही माया है मुख्यमंत्री विप्लव देव ने जब कहा कि युवाओं को गाय पालनी चाहिए, नौकरी के पीछे नहीं भागना चाहिए तो इसे एक सकारात्मक संदेश के रूप में ना देख कर नकारात्मक बना दिया गया। जो लोग नहीं जानते हैं कि गाय पालना वास्तव रोजगार का बेहतर विकल्प है उन्हें इतनी समझ भला कैसे होगी। गांव अथवा छोटे शहरों में जाकर गंभीरता से देखिए तो जो लोग 5 या 10 गाय पाल रहे हैं उनके सामने छोटी नौकरी वाले कुछ भी नहीं है। एक बेहतर रोजगार का माध्यम है गाय पालना परंतु इस मुद्दे को भी तिल का ताड़ बना दिया गया। यह भी एक मीडियम माया ही है।
यह मीडिया माया न्यूज़ चैनल के माध्यम से फैलते हुए सोशल मीडिया पर वायरल खबर बन जाती है अथवा सोशल मीडिया पर वायरल होते हुए न्यूज चैनलों और अखबारों, न्यूज पोर्टल तक वायरल खबर के रूप में पहुंच जाती है।
ऐसे कई उदाहरण प्रत्येक दिन सामने आते हैं जिसमें किसी के द्वारा कहे गए वाक्यों के छोटे से अंश को काटकर भड़काऊ बना दिया जाता है और देश में एक अलग तरह का माहौल बना दिया जाता है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के दलित आरक्षण के मामले में भी कहा गया। तीन तलाक प्रकरण पर भी इसी तरह का प्रबंधन देखने को मिला। कई एक उदाहरण भरे पड़े हैं। वर्तमान समय में जरूरत इस बात की है कि किसी भी खबर को हमें अपने बुद्धि-विवेक से जांचना-परखना होगा। आज के समय में जब सभी तरह गंदगी ही गंदगी फैल गई हो तो हमें हंस की तरह बनना पड़ेगा जो दूध में ढेर सारा पानी मिला देने के बाद भी दूध को अलग कर देती है..और कोई उपाय भी नहीं है...मीडिया महा ठगनी सों जान..
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