सुशासन बाबू ने कितना दुखी किया है क्या कहें!! अब बोलिए कोई अपना बिहार छोड़कर चला जाएगा और आना ही नहीं चाहेगा तो दुख तो होगा ही! अपने भैया जी को ही देख लीजिए!! बिहार छोड़कर दिल्ली चले गए हैं। अब आने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। कहते हैं कि ड्राइ बिहार में आकर क्या करें। जहां जिंदगी में आनंद नहीं है वैसे क्षेत्र में क्या जीना।
भैया जी कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार जीवन आनंद, उत्साह, उमंग, तरंग में है और बिहार में इस पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह घोर अधार्मिक कार्य है।
भैया जी इससे बहुत दुखी है। वह बिहार आना ही नहीं चाह रहे। बहुत लोग समझा बुझा रहे कि बिहार आ जाओ पर भैया जी आध्यात्मिक ज्ञान देने लगते हैं। भैया जी कहते हैं कि शास्त्रों में भी कहा गया है कि जीवन को आनंद के साथ ही बिताना चाहिए। हंसता, खिलखिलाता जीवन ही सफल जीवन है। अब बिहार में ड्राय बिहार बना दिया गया है। न मय है न मयखाना, तो हंसता-खिलखिलाता, तरंग-उमंग कहां से बिहार में मिलेगा। इसलिए भैया जी बिहार नहीं आना चाहते। अब इनको कौन समझाए।देखिए कब बिहार आते हैं!!
वैसे मैंने कहा, भैया जी बिहार में मय तो उपलब्ध ही है। होम डिलीवरी। पर भैया जी कहते हैं कि मय की वजह से आनंद कहां आ पाता है पैसे भी खर्च होते हैं और आजीवन का आनंद ही नहीं आए तो क्या फायदा वैसे बिहार में रहने से।
मैंने कहा भैया जी आप के बगल में बाबा भोला का दर्शन स्थल भी तो आजकल बहुत प्रसिद्ध हो गया है। लोगों की धार्मिक भावना एकदम उमड़ पड़ी है। भोलेनाथ की जय जय लगातार करने के लिए पहुंच जाते हैं। दशकों तक जो कभी नहीं गए वह भी आजकल बाबा की नगरी में सेल्फी लेते देखे जाते हैं। कभी-कभी माता के दरबार में रजरप्पा पहुंच जाते हैं। आप क्यों उदास होते हैं। आ जाइए। व्यवस्था तो हर जगह होती है। भैया जी इतना सुनते ही भड़क गए। 5 घंटा 6 घंटा यात्रा करके पोरे पोरे दर्द करेगा कि आनंद आएगा! तुम भी एक दम मूर्ख के मूर्ख ही रह गए हो। मैंने भी कहा कि हां भैया जी आपकी बात में तो दम है।
ना मय है, ना मयखाना है। बिहार में आया कैसा जमाना है।।
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